how to writing a script .chapter 2 ,know basics of script writing from start
..... दूसरी आम संभावना की बात करें तो कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है बल्कि होता ही है कि कहानी के लेखक जाने-अंजाने जिंदगी की सच्चाइयों को कहने वाले संदेशों को अपनी कहानियों में इनको बिना जाने ही ठीक से जगह देने में कामयाब हो जाते हैं क्योंकि हर एक इंसान की जिंदगी में जिंदगी की कड़वी और खट्टी मीठी सच्चाइयों से जुड़े कई सारे अनुभव तो होते ही हैं और जब आप एक लेखक हो जाते हो तो यह अनुभव अपने आप ही कहानियों को जन्म भी देते हैं और उनमें जगह भी लेते रहते हैं इससे भी कहानियां निखर उठती हैं और देखा जाए तो सच्चाई हो या अच्छाई दोनों का ही फ़ायदा दोनों को अपनाकर ही सबसे आसानी से मिलता है। आजतक की जितनी भी अच्छी कहानियां हैं उनमें से ज्यादातर का जन्म इसी तरह हुआ है क्योंकि उनमें से ज्यादातर या तो सत्य घटनाओं पर आधारित रही थीं या सच्चे संदेशों से प्रेरित रहीं थीं । तो इस तरह से दूसरा true message of Life यह है कि जिंदगी से मिले सारे ही अनुभव कीमती होते हैं क्योंकि अच्छी कहानी लिखने में हमारी मदद करते हैं , इन अनुभवों को पाते हुए तो हम ऐसा कुछ सोच नहीं पाते जल्दी से और हमारी लेखनी खुलने के काफ़ी समय बाद तक भी नहीं। जैसे कि बीज बोने के फौरन बाद लहलहाती फसल नहीं दिखती, उसमें समय लगता है इसी तरह अपनी और दूसरों की जिंदगी और कहानियों से अनुभवों और प्रेरणाओं के बीजों को हमारे अंदर समय बोता है जो वक्त आने पर किसी न किसी तरह काम आते ही हैं , फिल्मी कहानी लिखने में काम न भी आएं तो भी अपनी जिंदगी की कहानी तो है ही , हर किसी इंसान को एक कहानी तो ठीक से लिखनी ही है यानि एक कहानी का अंत तो सबको ठीक करना ही है और वो है उनकी ख़ुद की ज़िन्दगी की कहानी।
बतौर एक लेखक तीसरी सम्भावना के तहत हमारे साथ यह हो रहा हो सकता है कि हमारा दिमाग हमारे द्वारा लिखी जा रही किसी कहानी में हमारी स्वयं की ज़िंदगी के अनुभवों से ज्यादा दूसरी नाकाम या कामयाब कहानियों से मिली प्रेरणाओं को और उनकी कमियों के किए अध्ययन को ज्यादा जगह दे रहा हो और वैसे यह तो होता ही है क्योंकि कोई भी कला पाने का तरीक़ा ख़ुद की जिंदगी से लगातार सीखते जाना भी है लेकिन सबसे आसान और आम तरीका तो दूसरी कहानियों से सीखना ही है। वैसे भी नए सिरे से कोई कहानी लिखना एक extreme level की बात होती है जैसे कि space में कोई construction करना हो, तो आप सोच ही सकते हैं कि यह कितना अलग तो होगा ही साथ ही मुश्किल भी होगा। लेकिन मुश्किल बातों को भी आसान बनाने का कोई न कोई तरीक़ा होता है और इस मामले में वो यह है कि सीधे space में construction करने पहुंच जाने के बजाए पृथ्वी पर रहकर ही उसकी बहुत practice और planning करनी होगी जितना हो सके उतना ज्यादा से ज्यादा । .... आप जानते ही होंगे कि outer space में जाने से पहले astranauts धरती पर रहकर ही space के माहौल की भी बहुत practice करते हैं ; antigravity का माहौल तैयार करने के लिए astraunauts को पानी से भरे एक विशाल swimming pool में practice करने को कहा जाता है और इससे मैं समझा कि यूं ही नहीं कहा जाता कि "practice makes a man perfect" क्योंकि शुरुआत इसी से नहीं है बल्कि यही शुरुआत है।
हां लेकिन एक बात है जो कभी भी भूलने योग्य नहीं है और वो यह कि हम कितना ही क्यों न practice का धन एकत्र कर लें हर एकत्रित धन की तरह वो होगा कम ही। इसीलिए हमें किसी भी जगह पर तरक्की का सूत्र फिर चाहें वो space में construction हो या उतना ही मुश्किल एक नयी कहानी का जन्म ,लेकिन हमें यह स्वीकार करते रहना होता है कि हमारे ज्ञान में बहुत कमी है यही हमारा हर पल का सत्य भी है और जिनको भी कामयाबी मिली उन सब ने इस सूत्र को अपनाया है यानि घमंड नहीं किया करते थे वो।
सच तो यह है कि अकेले अपनी जिंदगी से सीखते रहकर भी उतने अच्छे writers पैदा नहीं होते दुनिया में जितना दूसरों की कहानियों से प्रेरणा लेकर पनप जाते हैं इसीलिए हमें दूसरी और दूसरों की कहानियों से सीखने में हिचक नहीं होनी चाहिए यानि हमें खूब किताबें पड़नी चाहिए और अच्छा ज्ञान लेना चाहिए वो भी ख़ुद को अल्पज्ञानी या अज्ञानी मानकर और इसीलिए ज़रूरी है कि मन में इतना घमंड कभी नहीं होना चाहिए जो हमें कुछ अच्छा सीखने से रोके या हमें हर वक्त ज्ञानी महसूस कराता रहे।... एक छोटा सा कोई कण आसानी से बहुत अधिक ऊंचाई पा लेता है बिना अधिक परिश्रम के लेकिन एक कंकड़ को ऊंचाई को पाना इतना आसान नहीं है जितना एक कण को है। ज्ञान पाने की अगर बात हो या आज का जैसा topic है कि बात हो कई टुकड़ों को जोड़कर एक अच्छी कहानी लिखने की तो भी हमारे मन को हमें एक कण के जितना हल्का रखना चाहिए यानि अगर हम कुछ अच्छा लिखने लगे हैं तो भी हमें घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड हमें अतीत में उलझाता है यानि घमंड हमें शायद पुरानी सफलताओं की अच्छे से याद कराके हमें अच्छा महसूस कराता है लेकिन बहुत जल्दी अतीत में इतना हम उलझने लग जाते हैं कि भविष्य की संभावनाओं को नुक्सान होने लग जाता है और घमंड हमारे लिए नए अध्ययन में सहज होना तो मुश्किल बनाता ही है तो वो बात भी भविष्य की संभावनाओं को नुक्सान पहुंचाती है लेकिन फ़िर भी ग़जब की होती है मन की शक्ति जो सारे विपरीत हालात होने पर भी हमें हमारी क्षमता को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का हमको मौक़ा देती है , मन की इसी विशेषता की वज़ह से एक सत्य का निर्माण होता है कि ख़ुद को काबिल बनाने की मेहनत कभी भी पूरी तरह बेकार नहीं जा सकती चाहें हमारे तन मन या जीवन की स्थितियां कितना ही हमारी क्षमताओं के पूर्ण इस्तेमाल वाले हालातों से हमको दूर क्यों न ले जाएं और इसी वजह से हमें वो कहानियां भी पसन्द आ पाती हैं क्योंकि सच्ची लग पाती हैं जिन कहानियों में हम देखते हैं कि घमंड, गुस्से और लालच से भरे शक्तिशाली लोग भी अपनी क्षमताओं का बहुत हद तक इस्तेमाल कर गए होते है , हालांकि बढ़ा हुआ लालच हो या गुस्सा या हो घमंड, तीनों में से एक ही काफी है हमें हमारी क्षमताओं का पूरा फायदा हासिल करने से रोक देने के लिए तो भी अक्सर कहानियों में दिखाया जाता है कि इन तीनों ही विशेषताओं से युक्त villain स्वभाव वाले लोग अपनी क्षमताओं का उस हद तक इस्तेमाल करने लगते हैं कि हमें वही उनकी क्षमताओं का अधिकतम इस्तेमाल लगने लग जाता है क्योंकि इस समय हम बिना जाने यह सच महसूस करते हैं कि हम सबके मन की कुदरती setting ही ऐसी बनाई है God ने कि ख़ुद को काबिल बनाने की मेहनत कभी बेकार नहीं जा सकती और ऐसी ही एक कहानी है Griffin की कहानी "footprints without feet" जिसके लेखक रहे हैं H.G Wells
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Griffin की कहानी में Griffin एक ऐसा ही character था जिसमें बहुत ज्यादा गुस्सा भी था , घमंड भी था और लालच भी था और शुरु से था । इतनी विपरीत मनोस्थिति के बावजूद भी Griffin ने ख़ुद को काबिल बनाया और शरीर को अदृश्य बनाने वाली दवा की खोज भी की और फिर मन की विशेषता तो हर समय लागू है ही कि ख़ुद को काबिल बनाने की मेहनत मन कभी पूरी तरह बेकार नहीं जाने देता । कहानी में इस तरह से लालची Griffin के कारनामों को दिखाया गया है कि हमें तो वही उसकी क्षमता और खोज का बेहतरीन इस्तेमाल लगने लगा और इसी से हमें समझ में आता है H.G Wells कितने सहज लेखक रहे होंगे जो सहजता से वो हमें यह महसूस करा पाए लेकिन फ़िर भी हमारा दिमाग यह जानता है कि Griffin इससे भी ज्यादा अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर सकता था ! अब सोचने वाली बात यह है कि अगर यह सच है तो हमें Griffin द्वारा किए गलत काम और लिए गलत फैसले ही क्यों उसकी क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल महसूस होते हैं आज भी? कुछ तो इसमें लेखक की लेखनी का जादू है; लेखक खुद सुलझा हुआ था इसीलिए वो Griffin के चरित्र में पेचीदा विशेषताओं को अच्छे से उभार सका और दूसरी बात मन से जुड़ा वही सच है कि मन को जैसा हमने बना रखा है उसी हिसाब से क्षमता के कम या ज्यादा इस्तेमाल की limit हमारे लिए तय हो जाती है । कहानी में Griffin ने अपने मन को बहुत भारी कर रखा था घमंड , बहुत ज्यादा गुस्से और लालच से तो ऐसे मन के साथ कहानी में Griffin ने जो जो भी किया Griffin के लिए वही सब उसकी क्षमता की limit बन गई थी और कहानी का यह सन्देश इतना सरल-स्वतंत्र है कि आज तक इसे महसूस करने के लिए हमें मन के विज्ञान को पूरा समझने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी है । इसी कहानी पर कई फिल्में भी बनी है और सबमें कोई न कोई Griffin है यानि ऐसा कोई जो विपरित मनोस्थिति में मन को इस कदर टिका चुका है कि जिससे स्वभाव में सकारात्मक परिवर्तन असंभव हो गया है और जिस वजह से हर बार हर नए Griffin द्वारा उसकी क्षमता की इस्तेमाल की limit और उसके द्वारा किए जाने वाले काम तय हो जाते हैं जो कि बहुधा एक से ही होते हैं।
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मन से जुड़े एक सत्य के आधार पर ही कायम है Griffin की कहानी की सफलता लेकिन सोचने वाली बात यह भी है कि क्या H.G Wells ने इस कहानी को लिखते समय इसके आधार में सत्य भरने पर इतना अधिक ध्यान दिया होगा ? क्या जब वो यह कहानी लिख रहे होंगे तो उन्होंने इंसान के मन से जुड़े सच को उस तरह जाना होगा जिस तरह हमने आज जाना है? मुझे लगता है बिल्कुल भी नहीं! जितना मुझे लगता है कि इतने पेचीदा सच को महसूस करने के बजाए उन्होंने केवल इस सच पर विश्वास किया होगा कि उन्हें मुक्त हृदय से लिखना चाहिए । अगर Sir Wells जीवित होते तो मैं उनसे शायद ख़ुद जाकर पूछता कि उनके जीवन के वो हालात क्या रहे हैं जिन्होंने उनके जीवन को सरल बनाया है? या क्या उन्होंने इसके लिए कुछ special किया है? अभी तो मैं बस इतना ही जानता हूं कि उन्होंने Griffin की कहानी लिखते वक्त special बस इतना ही किया था कि मुक्त ह्रदय से लिखने की कोशिश की और वो इसमें सफल भी रहे क्योंकि उन्होंने उस वक्त महसूस किया होगा तो बस इतना कि इस तरह ही वो कोई अच्छी कहानी लिख सकते हैं !... Sir Wells ने उस छोटे से सत्य पर पूर्ण विश्वास किया जिस पर एक लेखक को विश्वास करना भी चाहिए और जिसका नतीजा यह हुआ कि बहुत ही दिलचस्प और मन के विज्ञान को समझाने वाला पेचीदा सच्चा ज्ञान उनकी कहानी में अपने आप ही प्रकट होकर स्थापित भी हो गया और मेरे ख्याल से यही तो है नई original script लिखने की secret recipe, यानि बड़े सत्य की खोज अगर हम नहीं कर सकते अपनी कहानी के आधार के तौर पर तो हमें उस सच पर विश्वास करना चाहिए जिस पर विश्वास करना हमारे बस में है। क्योंकि हर छोटा सच है तो कहीं न कहीं भाग बड़े सच का ही जैसे कि हमारी आत्मा परमात्मा का एक छोटा सा अंश है और आज की theory हमें अच्छी तरह साबित करके समझा भी रही है कि छोटे से सच पर विश्वास करने भर से हमारा बड़े सच से संपर्क होने लग जाता है। .... यह बहुत बड़ा प्रश्न है कि परमात्मा का होना, न होना कुछ भी साबित नहीं हो पाता है तो अगर वो है तो उससे संपर्क कैसे करें? तो आज की theory तो यही कहती है कि हमें कुछ वक्त के लिए उसके होने पर विश्वास करना चाहिए क्यूंकि अगर वो है तो हमसे संपर्क ज़रूर करेगा!
एक जैसी बातों के बीच तगड़ा connection स्थापित हो ही जाता है और दुनिया की कुदरत तो विपरीत स्वभाव की बातों में भी अच्छा connection बनाने की कोशिश करती है जैसे परस्पर मेल नहीं खाता स्वाभाव रखने वाले दो लोगों की भी आसानी से शादी हो जाती है । आपने देखा कि जीवन की हर बात दूसरी से किस कदर जुड़ी होती है और हमारी असली दुनिया में भी क्योंकि सब ऐसा ही है तो कल्पना की दुनिया में भी सब ऐसा ही हो जाता है ! .... मैं भी Thanos को लेकर चला था लेकिन पहुंच गया Griffin तक और नाराज़ मत होइएगा अब जब मैं कहने वाला हूं कि यही मुझे Thanos और Griffin के बीच एक रिश्ता जो लगता है वो यही है। वरना खून के रिश्ते जैसा गाढ़ा संबंध Thanos और Griffin के बीच कायम करना कल्पना में भी एक मुश्किल काम है जबकि ऐसी कल्पना करना कोई मुश्किल नहीं है और कुछ हद तक यह और भी आसान हो जाता है क्योंकि Thanos और Griffin के बीच दूरियां भले ही बहुत ज्यादा हैं लेकिन दोनों लालच स्वार्थ और खुदगर्ज़ी के एक ही पक्ष से belong करते हैं और अगर दोनों सुधर सकें तो दोनों belong करने लगेंगे मानवता के पक्ष से जो कि दया और प्यार है । ....हम सब इंसानों के बीच भी एक दूसरे से हमारा वास्तविक संबंध खून का नहीं हो सकता , मानवता का ही हो सकता है । यहां दिलचस्प यह है कि मानसिक उन्नति होने पर मानवता का गुण भी आए यह हर बार ज़रूरी नहीं, कई बार उल्टा भी हो जाता है लेकिन मानवता का गुण दिल में आ जाए तो मानसिक उन्नति होकर रहती है और देखा जाए तो हर villain स्वभाव की नीव ही इस सच पर टिकी होती है क्योंकि हर villain ऐसे ही स्वाभाव वाला कोई व्यक्ति होता है या हो सकता है जिसने ज्ञान और ताकत भरपूर पा ली और मानसिक उन्नति भी हुई लेकिन जितनी मानसिक उन्नति होती रही उतनी कट्टरता मन में आती रही और इसके उल्टे जाएं तो नायक ऐसा ही कोई होता है जिसमें मानवता का गुण सबसे पहले प्रकट हुआ होता है मानसिक उन्नति चाहें बाद में हुई हो और यह भी एक सच्चा आधार है, यानि मानसिक उन्नति न सिर्फ हमें एक दूसरे से जोड़ने में सहायक है बल्कि मददगार है आसानी से सच्ची कामयाबी पाने में भी और विषय के अंतर्गत कहूं तो मददगार है अच्छी कहानी लिखने में भी ,villain का भी चरित्र लिखना हो तो भी मैं समझता हूं कि नायक जैसी सोच वाला बनकर ही हम इसमें आसानी से कामयाब होंगे।
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