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Parasite movie blog 3
Mr. Park's thinking Where did get wrong in the story?
कहानी का अंत भाग वाकई किसी की भी सोच के परे था।Mr.kim को कैद में रहते हुए सोचने का ज्यादा मौक़ा मिलेगा , यह वो कैद थी जो उन्होंने ख़ुद के लिए ख़ुद चुनी लेकिन अगर वो इसे न भी चुनते तो भी पुलिस तो उन्हें पकड़कर जेल में डाल ही देती , लेकिन कैसे Mr. Kim ने ख़ुद को ऐसी स्थिति में फंसाया कि कहानी के अंत में उनके आगे कुआं था तो पीछे थी खाई?....Maid Moon-gwang के पति Guen-se द्वारा चाकू लेकर हमला करने से जब ki-jung जख्मी हो गई थी तब Mr. Kim और उनकी wife ने मिलकर Guen-se को मार डाला था तो आखिर जरूरत क्या थी Mr. Kim को Mr. Park पर हमला करने की ?
जब ki-jung जख्मी हुई थी उसी वक्त Mr. Park के बेटे Da-song का Guen-se को इतना करीब से देखकर उसका घर में मंडराते भूत को लेकर वही सालों पुराना डर वापस लौट आया था जिससे वो फौरन बेहोश हो गया था। कहानी हम जानते हैं कि जब Da-song बहुत छोटा था तो एक दिन वो फ्रिज खोलकर Ice cream खा रहा था , उसी वक्त Mr. Guen-se घर के खुफिया तहखाने से निकलकर खाना लेने ऊपर आए थे और शायद बच्चे को Ice cream खाते देखकर उन्हें भी लालच आ गया और उन्होंने Da-song से छुपने की उतनी कोशिश नहीं की थी । अंधेरे में डरावने नज़र आ रहे Guen-se को बच्चे ने भूत समझ लिया और उस दिन के बाद से उसके मन में डर बैठ गया कि घर में कोई भूत है!.... कमाल है न कि हमारा ज़रा सा लालच भी कभी कभी किसी की जिंदगी कितनी आसानी से बदल सकता है ; हमारा अच्छा या बुरा दोनों प्रकार का लालच दूसरों की जिंदगी अच्छी या बुरी बना सकता है ,यह वाकई सच्ची बात है।
Da-song के मन में डर इस कदर बुरी तरह बैठा था कि जब Guen-se ने Ki-jung पर हमला किया तो Guen-se को देखते ही Da-song बेहोश हो गया था और Mr. Park अपने बेटे से इतना प्यार करते थे कि उन्हें तो शायद दिखा भी नहीं कि ki-jung इतनी बुरी तरह जख्मी है कि शायद अब ज़िंदा ही न बचे! लेकिन दुनिया तो स्वार्थी ही होती है तो Mr. Kim को हैरानी नहीं होनी चाहिए थी अगर Mr. Park अपने बेटे Da-song की उस वक्त ज्यादा फिक्र कर रहे थे जबकि हालत ki-jung की ज्यादा बुरी थी। और Mr. Kim को ki-jung का पिता न मानकर जब अपना ड्राइवर ही माना Mr. Park ने तो उन्होंने आखिर ग़लत क्या किया ?
Mr. Park को तो यही सच पता था कि Mr. Kim उनके ड्राइवर हैं और ki-jung के सिर्फ जानने वाले हैं इसीलिए उन्हें अपनी job बचाने की ज्यादा फिक्र होगी इसलिए वो पहले Da-song की फिक्र करेंगे न कि ki-jung की। Mr.Kim ने सबसे पहले Mr. Park को यह महसूस कराने के लिए कि वो एक अच्छा नौकर बनने लायक हैं, अच्छे या बुरे किसी रास्ते की परवाह नहीं की थी: पुराने नौकरों को झूठे कारण पेश करके काम से निकलवा दिया था , ये जानते हुए भी कि नई नौकरी मिलना इनके लिए भी आसान नहीं होगा क्योंकि वो ख़ुद भुक्तभोगी थे, फिर भी उन्होंने पुराने नौकरों के पेट पर लात मारते वक्त उनकी ज़रा भी फिक्र नहीं की ,न उनके मन की कोई परवाह की । ....
जब हम पूरा ही हिस्सा ख़ुद हड़प लेना चाहते हैं और दूसरों से ज़रा भी नहीं बांटना चाहते तो ऐसी हर कमाई या सुख हमारे मन को खोखला बना देता है इसीलिए भारत देश में दूसरों से बांट कर ही पाने का रिवाज रहा है , यहां तक कि रोटी भी बनती है तो पहली गाय और आखरी कुत्ते की ताकि हमें यह याद रहे कि सच्चा सुख और सच्ची कमाई दूसरों का सुख बढ़ाते हुए ही हासिल होती है । Mr. Kim अपने बारे में ही सोचते थे और तब तक खुश थे जब तक सभी लोग उनके ही भले के बारे में सोचते उन्हें महसूस हुए । जब Mr. Park ने उनसे सबसे बड़ी Emergency के वक्त एक अच्छे ड्राइवर की तरह पेश आने की उम्मीद की तो अब Mr. Kim को एहसास हुआ कि जब कोई सिर्फ अपने ही भले के बारे में सोचता है और दूसरों की फिक्र नहीं करता तो दूसरों को कितनी तकलीफ़ होती है और Mr. Kim का मन हमेशा सबकुछ अकेले ही हड़प कर जाने की आदत की वज़ह से इतना कमजोर था ही कि उन्हें यह सच बिलकुल पसंद नहीं आया बल्कि बहुत गुस्सा आया और इस गुस्से में उन्होंने Mr. Park पर ऐसा हमला किया जिसके बाद Mr.Park ज़िंदा नहीं बच पाए।...
हम चाहें गरीब से गरीब हों लेकिन सबकुछ अकेले पा लेने की सोच रखना तब भी ठीक नहीं , यह अपने शरीर में जानबूझकर एक जानलेवा बीमारी पालने जैसा है जो हमारा शरीर कमजोर पड़ते ही हम पर टूट पड़ेगी । हम सब इस सच के भुक्तभोगी भी है क्यूंकि हम सब के शरीर में एक न एक हिस्सा कुदरती रूप से कमजोर रहता है। जब हम पर workload पड़ता है तो शांत रहना व हर हालत में खुश रहना इसीलिए ज़रूरी है क्यूंकि अगर tension लेंगे तो हमारा वही कमजोर हिस्सा सबसे पहले प्रभावित होगा। लेकिन parasite movie देखकर मैंने महसूस किया कि ये हमें दर्द देने वाला कमज़ोर हिस्सा बड़े काम का भी है क्योंकि "दूसरों को भी दर्द होता है", इस सच को हमे याद दिलाता है क्यूंकि इस सच को अगर हम भूल जाएंगे तो यह हमारे लिए किसी भी दर्द से ज्यादा बड़ा दर्द साबित हो सकता है , कहानी में Mr. Kim ने भी दूसरों के जीवन का दर्द बढ़ाकर भी कोई परवाह नहीं की थी । दूसरों के दर्द की tension न लेकर अपनी body के कमजोर हिस्से को तो बचा लिया लेकिन इस तरह अपना मन बहुत कमजोर होने से नहीं बचा पाए, तो अंत में उससे भी ज्यादा दर्द में आ गए Mr.Kim ।....
नर्क को सनातन धर्म में एक जेल जैसा ही बताया गया है और जेल में हमारी जानबूझकर की गलतियां हमें ले जाती हैं। असली नर्क कहीं ऊपर नहीं है बल्कि दूसरों की परवाह न करके जीते जी ही असली नर्क हम बनाते हैं जहां बस पछतावा ही साथी है , इसी को बताने कि "दूसरों की परवाह न करने से अपना ही मन कमज़ोर होता है" हर धर्म में नर्क की चर्चा है , हर कोई जानता है कि बुरा करेंगे तो नर्क जाना पड़ेगा क्योंकि दूसरों की परवाह न करने से अपना ही मन weak रहेगा।....हो सकता है कि Mr. Kim को शायद यह सोचकर बुरा लगा हो , मेरे कहने का मतलब है Mr. Park की इस बात से है कि Mr. Park सोचते थे कि नौकरों को अच्छे पैसे देना ही केवल उनकी सारी समस्याओं का हल है जबकि अपने लिए तो वो यह मानते थे कि पैसा ही नहीं, जिंदगी को और भी बहुत कुछ चाहिए होता है। यानि नौकरों को अच्छे पैसे देकर और उनके साथ तमीज से पेश आकर भी Mr. Park अपने नौकरों को छोटा ही मानते थे या शायद इंसान ही नहीं मानते थे या फिर शायद Mr. Park यह मानते थे कि जब तक इंसान अमीर नहीं बना होता उसमे भावनाएं नहीं होती , होती है तो सिर्फ पैसे को पाने की चाहत इसलिए अच्छे पैसे दो, अच्छी सेवा लो। लेकिन सच्चाई यह है कि इंसान तो मर सकता है लेकिन इंसान की भावनाएं कभी नहीं और दुनिया में इसके दो उदाहरण हैं : पहला उदाहरण इतिहास के क्रूर और सेवा भावी लोगों का है क्यूंकि उनकी भावनाओं को याद रखा गया है, जिस भावना से उन्होंने जीवन जिया था कभी और दूसरा उदाहरण थोड़ा काल्पनिक सा है क्यूंकि भटकते भूतों के मामले में भी यही माना जाता है कि अपनी ज़िन्दगी में वो इंसान जिस नियत के साथ जीते थे अब वो ही जिंदगी भर की भावनाएं उन्हें भटका रही हैं।....
तो भावना नहीं मर सकती है चाहें इंसान अमीर हो या गरीब और दुनिया की असलियत तो यह है कि गरीबी में इंसान की भावनाएं ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं और अमीरी में भावनाएं कम काम करने लगती हैं जिससे सोचने की क्षमता प्रभावित होती है ,parasite movie की कहानी हमें इस सच का भी इशारा देती है जैसे कि Mr. Park की ज्यादातर सोच उनके परिवार और business तक ही सिमटी हुई थी , अगर Mr. Park ने वाकई यह मान भी रखा था कि दुनिया में गरीबी में जीते किसी भी इंसान की भावनाएं होती ही नहीं, सिर्फ पैसे की चाहत होती है तो तब तो उन्हें अपने सभी नौकरों के प्रति सावधान रहकर इसका सबूत ख़ुद को देना चाहिए था कि वो वाकई ऐसा सोचते हैं लेकिन हालातों ने ही उन्हें सबूत दिया कहानी के अंत में कि," वो कुछ भी ठीक से नहीं सोच पाए हैं, उनका मन सिर्फ तर्क-जाल में उलझा हुआ है" और यह उन्हें तब पता चला होगा जब उन्होंने Mr. Kim से ड्राइवर की तरह पेश आने की उम्मीद की , उनका calculation भी उन्हें यही कहता था कि Mr. Kim अच्छे ड्राइवर की तरह ही बर्ताव करेंगे लेकिन Mr. Kim ने एक कातिल के रुप में उभरकर Mr. Park को बता दिया कि उनका हिसाब अधूरा है साथ ही Mr. Kim ने अपने आप को भी यह साबित किया कि सबको और ख़ुद को लेकर भी उनकी समझ, उनका हिसाब सब अधूरा है इसीलिए कहानी में हमें दिखा एक अजीब मोड़ कि जब Mr. kim के चाहने पर Mr. Park ने उन्हें ड्राइवर माना तब Mr.kim खुश हुए थे लेकिन Story के end में जब Mr. Park ने चाहा कि Kim उन्हें मालिक माने तो kim गुस्सा हो गए और गुस्सा भी इतना कि Mr.park की जान ले बैठे , Mr.Park पूरी तरह से यह मानते भी नहीं थे कि गरीबों में भावनाएं नहीं होती लेकिन Mr. Kim की इस हरकत से Mr.Park की बीवी और बेटा तो बाद में यही मानेंगे कि Mr.Park सही थे जो मानते थे कि गरीबी में इंसान में भावनाएं नहीं सिर्फ पैसे की चाहत होती है, लेकिन एक बात है जो उन्हें इस झूठ को सच मानने से थोड़ा सा रोकेगी भी और वो है Maid Moon-gwang का बर्ताव जो सालों तक एक अच्छी maid ही बनी रही थी लेकिन Mr. Park की बीवी यह भी सोचेगी कि बन्द और सुरक्षित घर में से वो आदमी (Guen se) अचानक कहां से आ गया।....
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असल जिंदगी में भी हम लोगों के बहुत से हिसाब ग़लत हैं जिनकी सच्चाई जब सामने आएगी एक दिन तो हमें उतना ही गुस्सा आएगा जितना अपना हर हिसाब ग़लत पाकर Mr. Kim को आया था ।सबसे बड़ा उदाहरण ऐसे ग़लत हिसाब का मैं मानता हूं कि वर्तमान में इस 20 वीं सदी में जो बुरा बर्ताव हम mother nature के साथ कर रहे हैं जंगलों को काटकर और एक काल्पनिक हिसाब से हमने मान रखा है कि आगे भी mother nature का प्यार हमें मिलता रहेगा। जब इस बेतुके हिसाब की सच्चाई हमारे सामने आएगी हम या तो Mr. Kim जैसे गुस्से से भर जाएंगे या फिर Mr. Park की तरह shocked हो जाएंगे लेकिन तब यह दोनों ही बातें हमारे काम नहीं आएंगी।
अभी तो जब हम maid Moon-gwang का इतिहास नहीं जानते तो यह कहना ही होगा कि रास्ता उसका ही सही था भले ही वो भी अपने मालिकों को धोखा देती थी और अपने पति को अपने मालिकों के घर में छुपा रखा था लेकिन चाहें जो भी हो पर वो अमीरों को अपनी मेहनत और ईमानदारी द्वारा यह साबित करने पर ज़रूर तुली थी कि गरीबों में भी भावनाएं होती हैं , बल्कि अमीरों से कुछ ज्यादा ही होती हैं। बाद में अगर यह बात खुलती भी कि Guen-se को उसने सालों तक घर के खुफिया तहखाने में छुपाए रखा था तो उसे नौकरी से निकाल कर भी Mr. Park यही सोचते कि उसमें शक्तिशाली भावना की ताकत थी जो वो इतना कर गई।
....कहानी ने दिखाया कि जिसको जो भी तलाश होती है वो दुनिया में पहले से ही मौजूद है जैसे कि जब Kim परिवार की maid Moon-gwang को नौकरी से निकलवाने की वज़ह ढूंढ रहा था तो वो बनी बनाई वज़ह पहले से घर के तहखाने में मौजूद थी। इस काल्पनिक उदहारण में सच्चाई की गंध इसीलिए है क्योंकि दुनिया में यह वाकई सच है,जैसे कि जिसे हम बहुत दूर जाकर ढूंढ़ने की सोच रहे होते हैं वो अक्सर बिलकुल हमारे आसपास ही होता है और जिन बातों को हम बनाने की सोच रहे होते हैं ,वो दुनिया में पहले से बनी-बनाई मौजूद होती हैं।.... हम सच्ची खुशी को बाहर ढूंढते हैं जबकि वो बाहर नहीं हमारे मन है और मिल जाएगी जब मन में उतर कर उसे ढूंढेंगे और मन में उतरने का तरीका है कि अपने मन में उतरने के लिए हमें अच्छाई को मन में उतारना होगा यानि दिल से अच्छा होना होगा , वैसे सुनकर लगता नहीं न कि यह मन में उतरने का असली रास्ता हो सकता है ?
.... सोचकर तो यह भी सच नहीं लगता कि सबकुछ होकर भी अमीर बहुत कुछ महसूस नहीं कर पाते और बहुत कम पाकर भी गरीब कुछ ज्यादा ही महसूस कर लेते हैं लेकिन अगर यह सच न होता तो parasite movie ही न होती यह वाकई सच बात है कि जैसे जैसे अमीरी बढ़ती जाती है, खुलकर महसूस करने की क्षमता घटती जाती है और यहाँ पर उजागर होता है यह सच कि सच्चाई भी कभी कभी बहुत अजीब होती है, क्यूंकि यहाँ मुझे यह कहना ही होगा कि अमीरों को गरीबों की ज़रुरत होती है लेकिन उनसे नौकरी कराने के लिए नहीं बल्कि उनकी सेवा करके उनसे खुलकर महसूस करने की क्षमता उधार लेने के लिए। यह अपनी घटी हुयी महसूस करने की शक्ति को फिर से बढ़ाने का स्वर्ग के देवताओं का प्रमाणिक तरीका है क्यूँकि स्वर्ग के देवताओं से ज्यादा अमीर तो इस दुनिया में किसी को भी नहीं बनाया है भगवान् ने लेकिन बेशुमार अमीरी के बीच रहकर भी स्वर्ग में देवता खुलकर महसूस भी कर लेते हैं सबकुछ, तो इसके पीछे उनका यही secret है कि देवता स्वर्ग में अमीर बनकर नहीं बल्कि सेवक बनकर रहते हैं ;सृष्टि में सभी दीन-दुखियों की विशेष सेवा करके उनकी दुआओं के रूप में उनसे महसूस करने की क्षमता लेते रहते हैं ,इससे स्वर्ग की सच्ची परिभाषा समझ में आती है कि स्वर्ग वहीं बनता है जहाँ बहुत अमीर लोग स्वयं को दिल से गरीबो का सेवक ही मानकर जी रहे होते हैं। ....
हमसे कई गुना अमीर रहकर भी स्वर्ग में देवता तो प्रसन्न रह लेते हैं जबकि हम लोग किसी भी लिहाज उनसे कम अमीर रहकर भी स्वार्थ ,चिंता और बेचैनी के जाल में फंसने से खुद को बचा नहीं पाते क्यूंकि जैसे जैसे हम अमीरी की और बढ़ते हैं ,हममें से ज्यादातर लोग दीन-दुखियों की सेवा की महिमा भूलने लग जाते हैं ; और इसी वजह से हम थोड़ी सी मानसिक शांति के लिए भी तरसने लग जाते हैं ,तन की समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं लेकिन तन से भी पेचीदा होता है मन और मन की समस्याओं का एक ही कारण है। हमको याद रखना चाहिए कि जब भी मानसिक बेचैनी बढ़ने लग जाए तो समझ लेना है कि हममें परमार्थ सेवा की क्षमता अब घट रही है,तब हमें detail में यह चेक करना होगा कि ज़िन्दगी जीने में हम कहाँ गलत होते चले जा रहे हैं ?.... कहाँ पर हमारी वजह से किसी को तकलीफ मिल रही है जो कि हमारे मन में बेचैनी बनकर उभर रही है? यह अध्ययन सिर्फ यह कहता है कि अपने भौतिक यानि निजी जीवन में अपनी मानसिक बेचैनी के उस कारण को ढूंढ़ने के साथ साथ हमें इस ओर भी ध्यान देना चाहिए क्यूंकि ज्यादातर बार वो कारण हमारे भौतिक जीवन से जुड़ा हुआ नहीं होगा !
....यह भी कमाल की बात है कि परमार्थ सेवा का रस चखने तक हमें मानसिक अशांति के असली कारण के बजाय सब झूठे कारण और दुनियादारी की बातें ही हमारी अशांति की असली वजह महसूस होती रहती हैं और यह बहुत शक्तिशाली मायाजाल है लेकिन कुछ लोग अपने मन को इस मायाजाल के परे सच्चाई तक ले ही आते हैं ;यहाँ यह फर्क मिट जाता है कि वो लोग दौलत से अमीर हैं या नहीं क्यूंकि जो भी यह कर लेता है उसके पास जितना भी है उससे वो अपने साथ दूसरों की भी सेवा कर ही लेगा। ... ऐसा इंसान अपने तन के साथ साथ अपने मन की शांति का इंतज़ाम भी कर लेगा तो देवता तो ऐसे इंसान को आमिर मानेंगे ,दुनिया माने न माने ! इसीलिए अमीरों को अक्सर यह महसूस होता है कि गरीबों की सेवा करके उनकी महसूस करने की क्षमता कुछ समय के लिए उधार ले सकें तो अच्छा है और इसीलिए Mr. Park सही भी थे जो वो अपने नौकरों को अच्छे पैसे देने में विश्वास रखते थे , वास्तव में वो इतनी बड़ी सजा के हकदार नहीं थे जो Mr. Kim ने उन्हें दी और तहखाने में कैद हो जाने पर Mr. Kim भी यही मान रहे थे।
To be continued
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