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Parasite movie explanation in Hindi in a simple way, blog 2.
Our lives seems like a parasite's life today, how?
ज़िन्दगी अंत में ख़ुद ही हालातों के मुताबिक़ हमारे लिए best चुनकर देती है चाहें हमें वो पसंद आए न आए जैसे ki-woo को पिता और बहन से अलग कर दिया तो ki-woo को तो यह ज़िन्दगी का अन्याय ही लगता होगा । Mr.Kim को पूरी तरह अकेला बनाकर उन्हें यह जता दिया ज़िन्दगी ने कि कई सालों के अकेलेपन के बाद ही उनके भीतर का जहर कम हो पायेगा और इसी के साथ जिंदगी ने ki-woo को यह भी जता दिया कि यह उसके भीतर की अच्छाई का ही कमाल था कि इतने भारी पत्थर से सर पर चोट होने के बावजूद भी वो बच गया। Maid के पति को भी कैद से मुक्ति मिली और maid को अपने जीवन से , वैसे भी उन दोनों की कोई गलती नहीं थी, वास्तव में वो ऐसे parasites बन कर रहते आए थे जो अपने मालिकों को नुकसान नहीं पहुंचाते थे लेकिन kim family एक खतरनाक parasites की family थी जिससे जब टकराव हुआ तो शांत वाले पहले से park family के साथ रह रहे पुराने parasites(maid और उसके पति) को भी आक्रामक रुख अपनाना पड़ा लेकिन parasites की parasites से इस टक्कर ने सभी को बहुत कुछ दिया, अच्छा और बुरा दोनों ।
एक बात तो है वैसे कि हमारी सोच से न सिर्फ हमारे Immune system पर फर्क पड़ता है बल्कि कई बार "हमारी सोच ही हमारा वास्तविक Immune system भी है", यह हमारी ज़िन्दगी हमे बताती है क्यूंकि सोचने वाली बात है कि park family जो एक body जैसी थी तो इसमें kim family और maid की family जैसे parasites को घुसना इतना आसान क्यों हुआ? इसीलिए नहीं कि Park family बहुत भोली थी, और मैं उन्हें बेवकूफ भी नहीं कहूंगा जो वो अपने नौकरों को खुश रखने की कोशिश करते थे लेकिन Park family किसी के भी बहकावे में आसानी से आ जाती थी । यकीनन Park family पैदायशी अमीर रही थी क्योंकि ज्यादातर जन्मजात अमीरों के जैसे ही वो लोग वास्तविकता और बहकावे में फर्क नहीं कर पाते थे क्योंकि उन्हें अपने physical pleasures से ही फुर्सत नहीं मिलती थी और इस बात ने उनका नज़रिया छोटा बना दिया था। यानि कि मतलब सीधा सा है कि अमीर होकर भी अगर आप गरीबी का मज़ा लेना पसंद करते हैं ; पसीना बहाना और मेहनत से कमाने की कला , पसीने भरी मेहनत की कमाई का वो स्वाद खुद को अगर भुलने आप नहीं देते हैं तो आप अपने दिमाग़ को खुला रख रहे होते हैं, यानि कि आप अमीर सिर्फ पैसे से ही नहीं दिमाग़ से भी रह लोगे और दुनिया में इसकी ज़रूरत पड़ेगी सुरक्षित रहने के लिए , जैसा कि मैं हमेशा कहता हूं कि कहानियां वही hit करती हैं Box office पर और हमारे दिल पर भी, जो कहानियां असलियत के ज्यादा से ज्यादा करीब ख़ुद को ला पाती हैं।
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एक पल के लिए parasite movie की कहानी में बचे हुए लोगों की mental condition को महसूस कीजिए , हालांकि parasite movie के end में हमें कुछ हद तक यह महसूस कराया गया था लेकिन Mr. Park का बेटा अब क्या महसूस करेगा आगे ? मेरे ख्याल से तो Mr park का बेटा अपने मन के घाव भरने पर एक खुदगर्ज अमीर बन सकता है और उसकी मां अब शायद उसे इसके लिए motivate ही करेगी। Mr. Park की family Mr. Park के नहीं रहने पर भी अमीर ही है तो आगे Park family में आने वाले नए नौकरों को बिल्कुल भी सम्मान मिलने से रहा बल्कि पुरानी parasite families, Park family से जितना खुश रहती आईं थीं उतना ही Park family में आने वाले नए नौकर park family से परेशान रहेंगे लेकिन इस बात की संभावना बहुत कम है कि ki-woo इस बारे में सोच कर शर्मिंदा होता हो! Parasite movie से जुड़ा यह possible fact यही बताता है कि कोई इंसान जब जानबूझकर पाप पर पाप करता है तो उसे उसके किए पापों से अधिक सजा मिलती है क्योंकि बुरा करने वाले तो बुरा करके चले जाते हैं लेकिन बाद में बहुत समय तक बेचारे मासूम निर्दोष लोग उनकी वज़ह से पिसते रहते हैं ,movie की कहानी तो हम जानते ही हैं कि पूरी काल्पनिक है लेकिन Parasite movie की कहानी जिंदगी से जुड़े जिस fact की ओर इशारा करती है वो असली है।
.....जब कोई इंसान मरते मरते बचता है तो लोग कहते हैं कि "उसे तो दूसरी ज़िन्दगी मिली है" और जिस तरह Ki-woo बचा था कहानी में, असलियत में भी ऐसे बहुत किस्से सुने हैं जब लोग बुरी तरह घायल होने के बाद भी बच गए। ki-woo अपने इस नए जनम में दुबारा ग़लत shortcut नहीं लेगा, इस बात की तो गारंटी है ।
दुनिया में एक सूत्र चालता है कि कहीं कुछ बढ़ता है तो कहीं कुछ घट जाता है लेकिन मैं नहीं मानता कि यह सूत्र कभी भी अच्छाई पर लागू होता है क्योंकि अच्छाई तो बाटने से बढ़ती ही जाती है लेकिन patasite movie उस दिलचस्प स्थिति की कल्पना है जब सभी अच्छे-बुरे पक्ष अपने स्वार्थ में बह जाते हैं, वो लोग जो अच्छे हैं वो भी जब निजी स्वार्थ से बच नहीं पाते तो दबी दबी अच्छाई अपना प्रभाव नहीं डाल पाती ठीक से, तो अच्छाई भी बेतरतीब बढ़ने के बजाय तराजू में तुलने लगती है जैसे कि कहानी के अंत में अच्छाई ki woo में बढ़ी तो Mr.Park के बेटे में घटने के हालात बनाते हुए। सोचिए असल दुनिया में भी अगर हम सब के सब अपने स्वार्थों में बह जाएं तो यह कितना विनाशक हो सकता है क्योंकि इस बात को तो कल्पना में भी झुठलाना आसान नहीं है!
Sumit verma
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