Future of Filming: the days of future's cine stars May be some distinctive from our today's imagination....who knows?It is completely beyond our imagination what gonna be happened!
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फिल्मों में काम करने का शौक हर दूसरे इंसान को होता है । कईयों में यह शौक दबा दबा रहता है तो कईयों में यह शौक परवान चढ़ जाता है , उनमें जिन्हें लगता है कि वो तो फिल्मों में काम करने के लिए ही बने हैं! ....अभी जब मैं फिल्मों में काम करने के बारे में बात कर रहा हूं तो मैं जानता हूं कि आपका ध्यान फिल्मों के एक ही हिस्से पर गया होगा ,वो हिस्सा जिसे अभिनेता और अभिनेत्रियां निभाते हैं और क्यों न हों, हम जानते हैं कि फिल्मों में काम करने वाले लोगों में से सबसे ज्यादा पैसा हीरो हेरोइन ही कमाते हैं । जब मैं फिल्मों के काम की बात कर रहा था तो क्या आपने एक पल के लिए भी यह सोचा कि मैं लेखक के रूप में काम करने की बात कर रहा हो सकता हूं या एक निर्देशक के जैसे भी? कमाल की बात है कि आपमें से जो लोग लेखक या निर्देशक बनकर फिल्मी दुनिया से जुड़ने के लिए प्रयासरत हैं उनमें से भी ज्यादातर जब फिल्मों में काम को लेकर चर्चाएं सुनते हैं तो पहला ख्याल हीरो हेरोइन के काम का ही आता होगा । .....एक कहानी को फिल्म के रूप में ढालना आसान नहीं, फिल्म को बनाने का वास्तविक काम निर्माता या निर्देशक नहीं कर नहीं सकता बिना लेखक की कहानी के । एक फ़िल्म को बनाने से जुड़े यही दो सच्चे हिस्से ऐसे हैं जो कभी नहीं बदलने वाले यानि निर्माता और निर्देशक जो दो होकर भी एक हैं और दूसरा हिस्सा है "लेखक" फिल्म की कहानी का।
"I Tonya" फिल्म में Margot Robbie निर्देशिका भी थीं और अभिनेत्री भी। यह उदाहरण तो ठीक है लेकिन ऐसा वो कौन सा बदलाव है जो होने वाला है और जो हमें बताएगा कि लेखक और निर्माता तथा निर्देशक एक फिल्मी कहानी के वो सच्चे हिस्से हैं जिन्हें कभी भी बदला नहीं जा सकता?
वो वक्त भविष्य में अब बहुत दूर नहीं , जब फिल्मों में computer द्वारा निर्मित अभिनेता और अभिनेत्रियां काम करने लगेंगे क्यूंकि इसके कई सारे फायदे होंगे । चाहें आज के actors को यह बात पसंद न आए लेकिन जब इसका व्यापक चलन शुरू होगा तो निर्माता और निर्देशकों की यह पहली पसंद बन जाएगा क्यूंकि दिनों दिन बढ़ती technology इस विकल्प को और भी सस्ता और आसान बना देगी ।
Computer से बने actors को पैसा नहीं चाहिए होगा और उनकी acting भी सधी हुई होगी क्यूंकि दशकों तक इंसानी actors की study से बनी programming की वजह से वो कंप्यूटरीकृत actors जन्मजात सहज होंगे फिल्मों में काम करने को लेकर। कमाल है कि कहीं न कहीं हमारी गलतियां भी रिकॉर्ड होती रहती हैं जो बाद में तगड़ा सुधार लाने के काम आती हैं।कितनी दिलचस्प स्थितियां आने वाली हैं ज़रा सोचिए!
मुझे लगता है कि यह बदलाव कुछ ही दशकों में होगा जब पूरी तरह से असली से लगने वाले computer से निर्मित actors और उनकी acting पर आधारित पहली फ़िल्म हमें देखने को मिलेगी ।.... आने वाले समय का इशारा आज के समय में ही छुपा होता है और इसीलिए आज हम देख पा रहे हैं कि किसी अभिनेता की मौत भी हो जाती है तो भी कंप्यूटर की मदद से उसे जिंदा दिखा दिया जाता है लेकिन यह effect अभी थोड़ा महंगा और पेचीदा होने के चलते हर किसी के बस का नहीं है लेकिन technology के द्वारा यह बाधा दूर होते ही स्थिति बदल जाएगी ।
फिल्मों में बतौर अभिनेता या अभिनेत्री, इंसानों को लिया जाना धीरे धीरे कम होने लगेगा क्यूंकि इंसानी actors से ज्यादा कम्यूटर निर्मित किरदार पसंद किए जाने लगेंगे इसकी दो बड़ी वजहें होंगी: पहली कि किसी भी कंप्यूटर निर्मित character को उससे acting कराने के लिए हमें 1 पैसा भी नहीं देना होगा और दूसरी वजह यह कि characters पूरी तरह फिल्म निर्माताओं की सम्पत्ति बन जाएंगे , इसका मतलब आप समझे? ... मतलब यह है कि मान लीजिए जैसे कोई producer किसी लेखक की कहानी खरीदता है और उस पर फिल्म बना रहा है । कहानी की जरूरत की हर location कम्प्यूटर में उपलब्ध होगी , सारे characters भी कंप्यूटर में होंगे और producer के पैसे से बने सारे characters वास्तव में copy right होंगे producer के, यानि उनका कोई और इस्तेमाल नहीं कर पाएगा बिना producer की इच्छा के ,इसका सीधा सा मतलब यह है कि एक फिल्म में दिखे हीरो हीरोइन हो सकता है किसी और फिल्म में न भी दिखे यदि producer की इच्छा नहीं है तो । कोई अन्य अगर producer के इजाद किए इन किरदारों का इस्तेमाल किसी अन्य जगह करना चाहेगा तो उसे producer को पैसा देकर इजाजत लेनी होगी और जहां तक बात है producer की तो उसे इस स्थिति में पैसा देना है बस निर्माण टीम को ,और जिस समय की यह कल्पना है , फिल्म की शूटिंग के लिए भी producer को कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा , लेखक निर्माता और निर्देशक अपनी निर्माण टीम के साथ स्टूडियो से बिना एक कदम बाहर निकाले ही फिल्म complete कर लिया करेंगे और उन दिनों फिल्में बहुत कम समय में बन जाया करेंगी ; जिन फिल्मों में बहुत पेचीदा सीन भी होंगे तो वो भी 20 दिन या एक महीने में पूरी हो जाया करेंगी और लोगों को इस बदलाव की आदत हो जाएगी। जैसे किसी ने सुना कि आज एक फिल्म बनना शुरु हुई ,तो अपने दोस्त से कहेगा ,"पता है? आज उस फिल्म पर काम शुरू हो रहा है !" तो उसका दोस्त कहेगा कि ,"अगले हफ़्ते तो वो फ़िल्म ज़रूर ही देखनी है!"....
जितना मैं सोच पा रहा हूं अगर यह बदलाव उतना ही जल्दी हो गया तो लोग उस वक़्त को याद करेंगे जब फिल्में बनाना एक बड़ा भारी झंझट हुआ करता था यानि आज का वक़्त। ज़रा सोचिए भविष्य में अगर इंसानी actors होंगे भी तो monthly salary वाले employees होंगे क्यूंकि तब उनके काम को बने रहने के लिए कंप्यूटर के किए कार्य से सस्ता होना बहुत ज़रूरी होगा ।.... आज किसी भी आम इंसान को किसी celebrity से मिलना चांद पर उतरने जैसी कामयाबी लगता है क्यूंकि है भी उतना ही मुश्किल, लेकिन भविष्य के उस समय जब computerized characters की बाढ़ आ चुकी होगी उस समय भी जो इंसानी अभिनेता होंगे ,तो अगर उनके काम को पसंद किया जाएगा भी ,बहुत भी पसंद किया गया तो भी उनसे जाकर मिलना किसी के लिए भी कोई मुश्किल काम नहीं होगा ।
इंसानी कलाकारों के काम को बार बार कंप्यूटरी कलाकारों के काम से तोला जाएगा जबकि यह सरासर बेईमानी है,लेकिन इस तोला तोली का बुरा effect यह होगा कि इंसानी कलाकारों को भविष्य में stardom नहीं मिल सकेगा इसीलिए ज्यादातर इंसानी कलाकार इसकी उम्मीद भी नहीं कर रहे होंगे लेकिन इसका अच्छा पहलू भी है,और वो यह कि उस समय इंसानी कलाकार दिली खूबसूरती वाले होंगे: कोई नखरा नहीं न कोई घमंड और ऐसा क्यों ? क्योंकि रगों में भरा जुनून सा होगा जो कहता होगा कि हमें इंसानी acting के chapter को ज़िंदा रखना है ऐसे ही लोग भविष्य के उस दौर में भी अपनी मेहनत वाली acting करते दिखेंगे ,वरना बहुत तगड़ी शारीरिक सुंदरता वाले लड़के लड़कियां भी उस समय एक्टिंग करने की हिम्मत नहीं दिखाते हुए बस फिल्मों की निर्माण टीम का हिस्सा भर होंगे।
... सच है कि बुजुर्गों की सेवा से जो आशीर्वाद मिलता है वो मन को इतना निर्मल बनाता है कि मन भगवान को यानि शांति को पाने के लायक बन जाता है।आज के cinematic world का बच्चा होगा micro डिजिटल सिनेमा जगत। आज वाला सिनेमा जगत जो इंसानों से acting कराता है और बदले में करोड़ों रुपए देता है, कल को इंसानों को celebrity बनाने वाला यह पिता बूढ़ा हो जाएगा ।तब यह बूढ़ा पिता किसी को celebrity नहीं बना सकेगा । Celebrity होने का title कंप्यूटरी कलाकारों के पास हमेशा के लिए चला जायेगा और क्योंकि कंप्यूटरी कलाकारों को शोहरत की भूख नहीं होगी तो stardom आखिरकार लेखकों का होगा। आज वाले इस पुराने सिनेमा जगत को अपनाए रखकर ज्यादा से ज्यादा ज़िंदा रखने के लिए तब जो लोग जूझ रहे होंगे तो भले stardom नहीं और पैसा भी उन्हें कम मिल रहा होगा लेकिन शांति ज़रूर मिल रही होगी उन्हें जो इससे जुड़े रहकर इसे इस रूप में ज़िंदा रख रहे होंगे ।
यह शांति उस शांति का प्रतीक है जो हमें हमारे बूढ़े माता पिता की सेवा से मिलती है क्यूंकि हमारे माता पिता हमें बहुत कुछ देते हैं लेकिन एक दिन ऐसी स्थिति आती है जब वो हमें और ज्यादा नहीं दे पाते लेकिन ऐसे समय पर हम अपने माता पिता को प्यार दें तो बाद में हमे पक्की शांति मिलती है । दुनिया में हर कहीं इस शांति के प्रतीकों को पाने के मौके आते हैं क्यूंकि हमारे जीवन से जुड़ी एक एक बात बूढ़ी होकर अपना रूप बदल लेती है और भगवान यह देखते हैं कि हम हमारे जीवन से जुड़ी बातों का बुढ़ापा आने पर उनका सम्मान कर पाते हैं या नहीं?
हमारा घर पुराना हो गया हमने तुड़वा के नया बना लिया , हमारी गाड़ी पुरानी हुई बेच दी,Job
अब संतुष्टि नहीं देती तो छोड़कर अपना बिजनेस लगे करने,आपने देखा कि हमारे जीवन से जुड़ी दूसरी बातों का बुढ़ापा आने पर भी यदि हम उन्हें ठुकरा दें तो शांति में कोई फर्क नहीं पड़ता,क्यूंकि प्यार अगर करते तो भी शांति थोड़ी ही मिलनी थी और प्यार होने का मतलब है उसकी निशानी जो है दुःख जैसे किसी को उस घर को टूटते देख कर होता है जिसमें वो सालों रहा था ,किसी को मज़बूरी में उस गाड़ी को बेच कर भी होता है दुःख जिसे उसने सालो चलाया था , हम इन पुरानी बातों को प्यारा सा goodbye कहकर आगे बढ़ते हैं जीवन में तो उस वक़्त दिल हल्के से दुःख और ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की खुशी के बीच झूलता इतना स्वतंत्र होता हैं जितना ज़िन्दगी में कभी नहीं होता,यह ज़िन्दगी के अंतिम दम तक साथ निभाने की खुशी है जिसका कोई मुकाबला नहीं । अपनो से रिश्तों में भी ऐसा ही होता है अन्तिम दम तक साथ निभाए तो goodbye का वो sweet moment आता है लेकिन अपनों से रिश्तों की समाप्ति पर मन को आज़ाद बनाने वाला वो दुःख मन में ज्यादा गहरा प्रकट होता है ;यह सबसे ज्यादा देर तक बना रहेगा और ज़िन्दगी में आगे बढ़ती हमारी यात्रा की खुशी में घुलकर हमें लंबे समय तक आजाद बनाता रहेगा क्योंकि हमने अपनो को प्यार देने में कमी नहीं रखी थी।... इस आजादी का कुछ एहसास पाने का मौका ज़िन्दगी में बार बार मिलता ही रहता है। मन से निभाए तो अंत तक हमारे अपनों से और यहां तक कि ज़िन्दगी की हर छोटी-बड़ी बात से हमारा रिश्ता बन जाता है ,यह रिश्ते भी सुख हैं और रिश्तों की पूर्णता, वही तो शांति है और यही शांति उन इंसानी कलाकारों को भी कुछ हद तक मिलेगी जो तब भी सिनेमा जगत के पुराने रूप को सम्मान देते हुए ज़िंदा रखे होंगे ,उनकी कोशिशों से वो जवान तो नहीं हो जाएगा लेकिन यादों में ज्यादा देर बचा रहेगा।
कल्पना कीजिए कि यह बदलाव हो जाए 2067 के आसपास अचानक से जब कंप्यूटर से फिल्में तेज़ी से बनने लग गई जबकि 2065 तक भी इंसानी कलाकारों के बिना फिल्में फीकी लगती थीं और लग रहा था कि अगले 100 साल तक भी celebrities की चांदी चांदी ही रहेगी। सोचिए उस actor के बारे में जिसका acting में करियर साल 2065 में ही बनना शुरू हुआ था लेकिन 2067 में ही परवान चढ़ता उसका करियर ढलान पर आने लगा क्योंकि 2067 में कंप्यूटरी किरदारों को सहजता से फिल्मों में इस्तेमाल किया जाने लगा।.... इस विचार पर तो एक फिल्म बन सकती है जिसमें दिखाया जाएगा कि कैसे एक सितारा बनने के करीब पहुंच चुके कितने सारे इंसानी कलाकार टूटते तारों के जैसे सपनों के आकाश से नीचे गिरते चले गए? ... यह बात तो सच है कि एक साथ कई कलाकारों के साथ ऐसा आज तक नहीं हुआ होगा !
एक लेखक की हमेशा एहमियत रहने वाली है क्योंकि कोई मशीन या कंप्यूटर वैज्ञानिक भविष्य में भी लेखक की जगह नहीं ले सकते चाहें आने वाले कल में हमारा कंप्यूटर सोचने समझने भी क्यों न लग जाए लेकिन फिर भी इंसानी लेखकों के काम की ज़रूरत पड़ेगी ,इसीलिए लेखकों का स्थान भविष्य में अभी से सुरक्षित देख पा रहा हूं मैं,यह लेखकों की मेहनत को विधाता की ओर से सम्मान ही समझता हूं ।और यह हर किसी के लिए एक अच्छी उम्मीद है क्यूंकि कहावत है ,"एक लेखक के रूप में इंसान अपने और सबके बहुत करीब आ जाता है" और मैं कहना चाहूंगा उन फिल्मी जगत के सितारों को भी जो आज सपनों के आसमान पर चमक रहे हैं लेकिन एक दिन आएगा जब उनकी चमक पो फीकी पड़ने लगेगी ,जब ऐसा होने लगे तो उनसे मैं कहना चाहूंगा कि वो भी अपने अंदर के लेखक को जगाए और अपने अंदर की चमक को बड़ा लें ! ज्ञान के ऐसे ऐसे मोती छुपे होते हैं हर इंसान में जिन्हें निखरती लेखनी ही बाहर लाती है वरना वो मोती तो छुपे ही रह जाते!
आज के वक़्त की बात करूं तो अगर यह होना ही है जो मुझे लगता है कि होकर ही रहेगा तो आज का वक़्त बहुत अच्छा वक़्त है अपनी छाप छोड़ने के लिए। आज के मशहूर कलाकार शायद पैसे के पीछे ज्यादा भागते हैं लेकिन मेरे ख्याल से तो मशहूर बन जाने के बाद भी उन्हें मौकों का पीछा वैसे ही करना चाहिए जैसा अपनी struggle के दौरान वो करते थे ,उसी भूख के साथ मौकों का फायदा लेना चाहिए ,क्यूंकि आज ज्यादा से ज्यादा वो फिल्मी जगत के सितारे कितनी भी फीस क्यूं न लेते हों लेकिन आगे आने वाले वक़्त में याद तो उनका आज वाला मन से किया काम ही रखा जायेगा , आखिरकार यह बात हर तरह से सच है कि वक़्त कभी एक सा नहीं रहता ।
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