Tusk and tooth ;What happened when a lion and a elephant come together and Survive?
- Atleast imagination can make them friends easily!
- Could the title "forever companions" set on this unnatural friendship ?
हमने ऐसी कईं कहानियां सुनी हैं और फिल्मों में देखीं भी हैं और अब तो हम इस बारे में कल्पना भी करने लगे हैं जब कहानियों में कुछ शाकाहारी जानवरों की कुछ मांसाहारी जानवरों से दोस्ती हो जाती है ।ऐसी फिल्में जाने क्यूं पर सदाबहार होती है । प्रकृति से जुड़ी कहानियों में वाकई में कुछ बात होती है ,मानो जैसे प्रकृति से जुड़ने पर हमारी उम्र बढ़ती है कहानियों की भी बढ़ जाती है ।
मुझे बहुत दिलचस्प लगती हैं ऐसी फिल्में जिनमें दो विरोधी स्वभाव वाले जीवों की जुगलबंदी दिखाई जाती है जैसे कि "The good Dinosaurs" जिसमें मांस खाने वाले डायनोसोरों की "आरलो" नाम के शाकाहारी डायनोसोर से दोस्ती हो जाती है , इसी तरह से "Ice age" movie में एक "डागा" नाम के शेर की एक हाथी और गिलहरी से दोस्ती हो जाती है ; opposite nature के इंसान भले ही साथ रह लें लेकिन opposite nature वाले जानवरों को साथ रखना ,कल्पनाओं में भी यह किसी challenge से कम नहीं होता इसीलिए इन कहानियों में मिलने के बाद बिछुड़ना वाकई में एक बहुत भावुक moment होता है ।
इस तरह की कहानियों से inspired होकर मैंने भी एक कहानी लिखी है फिलहाल इसका नाम मैंने रखा है tusk and tooth . जैसा कि हम जानते हैं कि शेरों के समाज में भी बच्चों के नवयुवा होते ही बच्चों को परिवार से बेदखल कर देने की परम्परा रहती है; हजारों या शायद लाखों साल पुरानी परंपरा है जो कि आज तक कायम है लेकिन यह कहानी शुरू होती है हजारों लाखों साल पहले उस वक़्त से जब यह परंपरा काफी नई नई थी ; उस समय डायनोसोर हाल ही में मिटे थे और स्तनपाई जीवों का विकास तेज़ हो रहा था।उस समय सभी जानवरों के आकार आज के जानवरों के मुक़ाबले कईं गुना बड़े हुआ करते थे जैसे कि शेर और हाथी आदि।
शाकाहारी जानवरों और मांसाहारी जानवरों के बीच दोस्ती का कुदरत में वैसे कोई खास skope नहीं होता। आज तो हम देखते हैं कि शाकाहारियों की यात्रा हमेशा हरे भरे इलाकों की ओर चलती रहती है और ऐसे हर इलाके में मांसाहारी जानवर घात लगाकर बैठे रहते हैं सिर्फ शेर ही नहीं बल्कि और भी कई,लेकिन हजारों साल पहले उस वक़्त यह बात पूरी तरह सच नहीं थी; वर्षा हर साल अच्छी हुआ करती थी , शाकाहारियों को खाने की कमी नहीं थी तो उन्हें लंबे प्रवास नहीं करने पड़ते थे , शाकाहारियों तक पहुंचने के लिए मांसाहारी जानवरों को बहुत संघर्ष करना पड़ता था उन दिनों क्यूंकि शाकाहारी जानवर अपने जाने पहचाने सुरक्षित इलाके में ही रहा करते थे,लेकिन समय जल्दी ही बदलने वाला था।
कल्पना कीजिए उस वक़्त के उत्तर दिशा के हरे भरे मैदानों की, सम्मिलित रूप से कहा जाए तो हरी घाटी के मैदानी इलाके भी कह सकते हैं जिन्हें ।उन हरे भरे मैदानों में अन्य शाकाहारी जीवों के साथ "लोका" नाम का हाथियों का झुंड भी रहता था झुण्ड की पहली रही मुखिया हाथी लोका के नाम पर इस झुण्ड का नाम भी "लोका" हो गया था।... हाथियों में सबसे निरीह यानि शिकार हेतु आसान शिकार अगर कोई होता है तो वो हाथियों के बच्चे ही होते हैं ,वयस्क हाथी भी यह जानते हैं और शेर चीतों जैसे शिकारी भी, इसीलिए कोई शिकारी अगर हाथियों के झुण्ड पर हमला करता है तो वो हमेशा हाथियों के बच्चों को ही निशाना बनाता है; यह बात तो वैसे सभी शाकाहारी जानवरों के लिए कही जा सकती है कि उनके बच्चे शिकारियों के लिए एक आसान शिकार होते हैं इसलिए बच्चों की देखभाल हमेशा एकजुट होकर झुण्ड में की जाती है लेकिन कोई भी परिवार चाहें कितना ही एकजुट या ताकतवर क्यों न हो एक न एक बार तो मुश्किलों में फंसता ही है!
लोका के हाथी ही नहीं बल्कि उस हरी भरी घाटी में रहने वाले सभी जानवरों के सामने एक बहुत बड़ी मुश्किल आ गई क्यूंकि पिछले साल ज़रा भी बारिश नहीं हुई । अब इस साल बारिश की कमी का असर दिखने लगा : तालाब सिमटना शुरू हो चुके थे और हरी घास सूख कर पीली पड़ने लगी थी ।अन्य जानवर उस इलाक़े में अब भी टिके हुए थे और टिके ही रहना चाहते थे ; खाने की खोज में अंजान इलाके में जाने को लेकर उनके डर की वजह भी थी क्योंकि आज तक छोटे मोटे प्रवास तो किए थे लेकिन इतना बड़ा प्रवास जो कल्पना में endless लगता हो आज तक शाकाहारी जानवरों के किसी भी झुण्ड ने कभी नहीं किया था , न कोशिश की थी और न ही अपने पूर्वजों से ही सुन रखा था कि ऐसी कोशिश कभी की गई हो ! लेकिन हाथी सबसे समझदार जानवर होते हैं।
हरी घाटी में लोका जैसे ही हाथियों का एक झुण्ड और था । लोका परिवार के हाथियों ने तय किया कि हरी घाटी के सीमित होते जा रहे साधनों को अन्य जानवरों के लिए छोड़कर उन्हें प्रवास पर निकल पड़ना चाहिए, इससे यहां के सीमित साधन देर तक यहां रहने वाले जानवरों के लिए बचे रहेंगे, क्यूंकि हाथियों की जरूरतें वैसे भी बहुत ज्यादा होती हैं इसीलिए अगर हाथी भी देर तक हरी घाटी में रुके रहते हैं तो घाटी में पहले से ही कम होते जा रहे साधन तेज़ी से स्वाहा हो जाएंगे । हाथियों को यह बात सबसे पहले समझ आ गई थी कि घाटी में हालात ऐसे बनने वाले हैं कि बचे खुचे पानी और खाने के लिए भी बहुत लड़ाई झगड़ा होने लगेगा।
लोका के हाथियों ने सबसे पहले प्रवास पर जाने का फैसला किया ताकि दूसरे हाथियों को भी प्रवास की प्रेरणा मिले ।फैसला तो सही था लेकिन लोका परिवार के बच्चों के लिए यह एक करारा झटका था।झुंड में इस समय चार छोटे बच्चे थे और यह कहानी जिस हाथी के बच्चे के इर्द गिर्द घूमती है उसका नाम है "Tig". और इस कहानी में जिस नौजवान शेर की यात्रा की असल शुरुआत होगी उसका नाम है " गाना" , और गाना का सिर्फ नाम ही संगीतमय था लेकिन जब उसकी Tig से पहली मुलाकात हुई तो Tig समझ गया कि गाना तो वास्तव में एक खड़ूस शेर है, लेकिन एक हाथी का बच्चा एक नौजवान शेर के सम्पर्क में आया कैसे और Tig के माता-पिता ने उसे रोका क्यों नहीं? ...यह वाकई में बहुत दिलचस्प किस्सा है।
To be continued
Tusk and tooth ;What happened when a lion and a elephant come together and Survive?
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