Martyrs movie 2008 explained data part 4. final messages of the story's ending. what had Mademoiselle proved by attempting suicide ? what she actually wanted to tell her other community members ?

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Martyrs movie 2008 explained data part 4. final messages of the story's ending.

what had Mademoiselle proved by attempting suicide ? what she actually wanted to tell her other community members ?  

Martyrs movie की कहानी में Mademoiselle का चरित्र तो काल्पनिक है लेकिन फिर भी अच्छे से simulate करके दिखाया गया है कि यूं ही कोई नर्क में नहीं समा जाता , अंतरात्मा की आवाज़ के रूप में भगवान् बहुत बचाने की कोशिश करते हैं । लेकिन Moiselle ने अच्छाई के रास्ते की एक उपलब्धि (परलोक ज्ञान) बुराई से पाने की कोशिश की थी । 

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बुराई के रास्ते पर चलने की वजह से उसमें खुद अच्छाई का फल पाने के लिए कुर्बानी देने की क्षमता नहीं थी तो उसने दूसरों को मजबूर किया जिससे सब बुरा होता गया..... इशारों से बढ़कर  अबकी बार भगवान ने Moiselle को उसका परलोक का हाल Anna के मुंह से सुना दिया और जिस दर्शन को वो सह नहीं सकी और खुद को मिटा डाला।..... आजकल हममें से हर दूसरा इंसान बहुत हद तक वही गलती कर रहा है जो इस कहानी में Moiselle ने की थी क्योंकि हममें से ज्यादातर इंसान आज की तारीख में अच्छाई करने की कीमत खुद कीमत चुकाने से बचना चाहते हैं  ; अच्छाई करने का मीठा फल यानि शांति तो हर इंसान चाहता है पर ख़ुद अच्छा बनने के लिए कुर्बानी नहीं देना चाहता .... यह विनाश लाने वाली बात है!

Moiselle एक काल्पनिक चरित्र है लेकिन काल्पनिक होकर भी  बहुत कुछ कहता है , सबसे बड़ी बात यह  कहता है  कि अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है और सच्चाई यह है कि ज्ञान पूर्ण कब होगा? यह तो पता नहीं! लेकिन जब तक यह पूर्ण नहीं हो रहा तब तक हर कीमत पर अच्छाई से जुड़े रहकर, दूसरों का और उनके जीवन का सम्मान करके और उन्हें प्यार देकर वैसा ही असर ज़रूर लाया जा सकता है जैसा  ज्ञान के पूर्ण होने  पर आएगा बल्कि उससे भी बेहतर बनाया जा सकता है।

 



Martyrs और collection जैसी फिल्मों में जिनमें काफ़ी खून खराबा और मासूम लोगों को तकलीफ़ देते दिखाया जाता है तो अंत में सिर्फ villain को सजा मिलते देखना उस villain के लिए तो काफ़ी होता  है पर हमारे लिए नहीं क्योंकि हम इंसान हैं , जब तक हम अपनी मेहनत द्वारा जुड़ते नहीं हैं किसी भी बात से तो कुछ भी कितना ही अच्छा क्यों न हो पर हमें सकारात्मक लाभ नहीं देगा। कोई कहानी चाहें कितनी भी अच्छी क्यों न हो अगर हम मेहनत करके उससे जुड़ नहीं पाते तो वो भी हमें नुक्सान देगी । .... दर्शक होने के नाते हमारे लिए ज़रूरी है कि कहानी के संदेश ,कहानी और कहानी के पात्रों की स्थितियों को अच्छे से समझने की कोशिश करें वरना कहानी यह कहती तो लगेगी कि "अंत में जीत अच्छाई की ही होती है" लेकिन अच्छाई के लिए लड़े बिना यानि  मेहनत किए बिना यह feel नहीं होगा, क्योंकि पूरी कहानी में प्रचार बुराई का होता रहा जबकि अंत में जीत अच्छाई की हुई  तो ऐसे में मन confuse होगा कि क्या सत्य को सत्य माने जो अच्छाई के जीत जाने पर भी feel अब भी नहीं हो रहा या बुराई के प्रभाव को सही माने जो बुराई के हार जाने पर भी महसूस हो रहा है?




मैं मानता हूं कि नई नई कहानियां देखने-पढ़ने का जोखिम हमको नहीं लेना चाहिए अगर हम उन्हें समझना ही नहीं चाहते और विशेषकर मार-काट वाली फिल्मों के लिए यह बहुत ज़रूरी है वरना नकली वाली Moiselle की देखा देखी कभी असली Moiselle भी किसी के मन में पैदा हो सकती है, अगर बिना Moiselle की जीवन यात्रा को समझे Martrys , collection या ऐसी कोई और कहानी हम देखते हैं तो।.... क्यूँकि अब आप और हम Moiselle की जीवन यात्रा को कुछ हद तक समझने लगे हैं तो अब मैं आपसे कहता हूं कि अगर आपने Martrys movie नहीं देखी है तो एक बार जाकर देख लीजिए ,Martrys और इसी तरह की खून खराबे वाली movies अब आपके मन को वास्तविक नुक्सान नहीं पहुंचा सकती हैं , आपको रुला भले ही दें!


...... चर्चा को खत्म करने बढ़ते हुए मैं यह कहना चाहूंगा कि Martyrs  की कहानी के अंत में जैसा कि हम जानते हैं  Moiselle ने पूर्व योजना पर बने रहने की कोशिश की ; जैसा कि उसके और उसके साथियों ने तय किया था कि जैसे ही परलोक के बारे में कुछ पता चलेगा पूरी community को  इस बारे में बताया जाएगा । 

Anna ने शाम को Moiselle को अपने experiences बताए थे और अगले दिन Moiselle अपनी community में Anna के इन experiences का खुलासा करने वाली थी। मैं तो मानता हूं कि रात भर में Moiselle ने Anna के बताए हुए नर्क के descriptions का ग्रंथों में बताए गए नर्क के descriptions से मिलान करके यह पक्का कर लिया था कि Anna कोई कल्पना नहीं कर रही थी ,नर्क में खड़े होकर Anna ने वाकई नर्क देखा था , Moiselle का नर्क! ..... कमाल है न कि Mademoiselle ने परलोक से जुड़े नर्क के यह descriptions पहले भी पढ़े होंगे लेकिन तब महसूस नहीं कर पाई क्योंकि तब भावना नहीं थी और जब भावना आई तो परलोक पर जो विश्वास जिंदगी भर में नहीं हो पाया था , एक ही रात में हो गया और Moiselle सताए लोगों की याद और अपने बनाए नर्क की कल्पना कर करके शर्मिंदा होने लगी । 


.... बिना महसूस किए ज्ञान अधूरा होता है और योग्य गुरु के आगे  झुकने से , नम्रतापूर्वक गुरु से उनका ज्ञान ग्रहण करने से हमें हमारा ज्ञान महसूस करना आसान हो जाता है, यही ज्ञान से जोड़ने वाली feeling पाने का सबसे आसान तरीका है। कहानी में Moiselle के पास सबकुछ था लेकिन ज्ञान को पूर्ण बनाने वाली feeling उसे सही समय पर नहीं मिल पाई क्योंकि योग्य गुरु की महिमा शायद उसने ठीक से कभी समझी ही नहीं थी । किताबें यूं तो हमें बताती बहुत कुछ हैं लेकिन वो भी हमारी सच्ची गुरु नहीं होती और बिना अच्छे गुरु के  किताबों से हमारी अच्छी दोस्ती भी नहीं हो पाती।


गुरु के लिए हमारे मन में कितना समर्पण है उससे ही यह तय होता है कि ज्ञान पर हमारी पकड़ कितनी जल्दी मज़बूत होगी यानि इसी से यह तय होगा कि ज्ञान को हम कितना जल्दी महसूस कर पाएंगे और क्यूंकि हम मानवों के लिए हमारी  मानवता ही सबकुछ है तो हमारे लिए  योग्य गुरु वो है जो न सिर्फ ज्ञान में निपुण हो बल्कि हमें मानवता भरा अध्ययन का रास्ता भी दिखा सके , ऐसे गुरु को सदगुरु कहते हैं जो हमें मानव बनना भी सिखाता है, वरना 'ज्ञान को महसूस कराने वाली feeling हासिल करना कितना मुश्किल है? यह Martyrs की कहानी हमें समझाती है और 'अधूरा ज्ञान कितना खतरनाक हो सकता है?' यह भी बताती है।

 अन्त में Moiselle समझ गई  कि ज्ञान कभी पूर्ण नहीं होता लेकिन इंसानियत का पालन करते रहने से अपूर्ण ज्ञान को पूर्ण रूप देकर शांत किया जा सकता है। इसीलिए Moiselle शर्मिंदा थी क्योंकि सोच रही थी कि, "क्या इतने लोगों को इतना दर्द देकर अब किसी भी तरह इंसानियत का रास्ता पकड़ सकूंगी?" Moiselle ने अपने मन को खूब टटोला और अंत में इस नतीजे पर पहुंची कि अब देर हो चुकी है ! लेकिन एक बात कहूं Moiselle ने इसीलिए आत्महत्या नहीं की थी क्योंकि उसने  नर्क के दरवाज़े पर खड़े हुए नर्क में दाखिल होने को तैयार अपने आप को देख लिया था, बल्कि उसने इसीलिए आत्महत्या की थी क्योंकि उसे अपनी जान देकर अपने तमाम साथियों और community के लोगों को उस valuable feeling से भरना था जो उसने Anna के जरिए पाई थी क्योंकि वो  शुद्ध दिमाग से अब यह महसूस कर पा रही थी कि उसके साथी भी उसके पापों में बराबर के शरीक हैं लेकिन Moiselle यह भी जानती थी कि अगर वो सच बताएगी भी कि उसने अपना नर्क देख लिया है तो भी उसके साथी उसकी  नर्क वाली बात पर विश्वास नहीं करेंगे क्योंकि इस ज्ञान को महसूस कराने वाली feeling Moiselle में तो आ गई थी लेकिन उसके साथियों में नहीं आई थी और feeling बिना खासतौर से पारलौकिक ज्ञान किसी भी काम का नहीं होता , तो अपने तमाम साथियों में अपनी यही feeling भरने के लिए Moiselle ने अपनी जान दे दी।... आम हालातों में तो आत्महत्या करने से जघन्य अपराध कोई दूसरा होता नहीं लेकिन Moiselle ने ख़ुद को जिन हालातों में फंसा लिया था उनमें अपनी जान देकर उसने अपनी जिंदगी का पहला अच्छा काम किया, साथ ही अपने साथियों को एक इशारा भी कर दिया कि उसने ग़लत रास्ते जाकर कुछ ऐसा शर्मनाक हासिल किया है जिसे बयां करना उसके लिए  बहुत मुश्किल है।


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अन्त में Mademoiselle सबको कह गई कि," मैं तो जा रही हूं अपना नर्क भुगतने, अब तुम लोग अपना नर्क संभालो... ख़ुद को बचाने के लिए हो सके तो कुछ करो!"यह था Moiselle का अंतिम संदेश।... वाकई में सच है कि अगर जीते जी कोई परलोक देख ले तो पाप करेगा ही क्यों? ......The End

Sumit Verma

Martyrs movie 2008 explained data part 4. final messages of the story's ending.

what had Mademoiselle proved by attempting suicide ? what she actually wanted to tell her other community members ? 


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