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Martrys movie ending explanation part 2. what Anna had actually said to the Moiselle about Afterlife? Why Moiselle got determined to kill herself?
पिछले Blog में हमनें समझा था कि जैसा जीवन हम ज़िंदा रहते हुए जीते हैं तो उसी के आधार पर मरने के बाद यह तय होता है कि परलोक में अपना जीवन हम स्वर्ग में बिताएंगे या नर्क में? और अगर जीवित रहते हुए हम परलोक का दर्शन करना भी चाहें तो भी हमें परलोक की उसी जगह का दर्शन हो सकता है जहां हम जाने वाले हैं, यानि वर्तमान में अपनी कर्मों की स्थिति के हिसाब से हम जहां जाने के लायक हैं उसी जगह का ही हम दर्शन कर सकते हैं। .... भगवान दयालु यूं ही नहीं कहा जाता! उसने ऐसी व्यवस्था बना रखी है जो insure करती है कि जिस इंसान के कर्म ठीक नहीं हैं वो परलोक का सीधे दर्शन कर ही नहीं सकता इसीलिए ऐसे इंसान यही कहते दिखते हैं कि "परलोक जैसा कुछ भी नही होता!" भगवान की दया की वज़ह से होता यह है कि जिस इन्सान के कर्म बुरे हैं उसे परलोक की अपनी स्थिति महसूस ही नहीं होती जिससे अपने भौतिक जीवन में वो थोड़ा सा शांत रह लेता है।
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मैडम Moiselle खास थी जो नास्तिक होकर भी परलोक में विश्वास कर पाई लेकिन परलोक को जानने की दिशा में तरक्की सही इसीलिए नहीं हुई क्योंकि उसने अपनी गुरु ख़ुद बनने की कोशिश की और प्रेरणा भी इतिहास के ऐसे लोगों से ही ली जिन्होंने भी यही गलती की थी, इससे पता चलता है कि यूं ही सनातन धर्म ने गुरु की इतनी महिमा नहीं गायी है । अच्छे गुरु के बिना भी हम परलोक में तो विश्वास कर लेंगे लेकिन अच्छाई में नहीं मान पाएंगे, हमारी खोज से जुड़े पहले से मौजूद ज्ञान में विश्वास नहीं कर पाएंगे, ऐसे में फ़िर नर्क आसानी से बन जाता है और यहां पर इसका मतलब है कि परलोक से जो आशा है वो बिना अच्छे गुरु के पूरी होने वाली नहीं और गुरु ऐसा होना चाहिए जो कोशिश करने का सही तरीका हमें बता सके।... बिना अच्छे गुरु के भी हमारी कोशिशें काफ़ी हद तक अच्छी हो सकती हैं लेकिन उसके लिए "कार्य करने की प्रेरणा" अच्छे लोगों से आई हुई होनी चाहिए, सीधे शब्दों में कहूं तो अगर हम किसी योग्य गुरु के शिष्य नहीं बन पाए हैं तो कम से कम ज़िन्दगी और अपने कार्य की प्रेरणा तो किसी ऐसे से लें जो बना था शिष्य किसी योग्य गुरु का , बिना गुरु के भी कोशिशें सही होने के लिए कम से कम इतना होना चाहिए वरना कोशिशें सही हो ही नहीं सकती ।
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... Moiselle दोनों ही जगह चूकी थी न तो उसका कोई अच्छा गुरु था और अपने कार्य की प्रेरणा भी उनसे ही ली जो ख़ुद ऐसे ही थे।इन हालातों में जब हम किसी भी तरह (direct या indirect) योग्य गुरु के आगे झुकने को तैयार नहीं होते तो अच्छी बातें भी बुरी हो जाती हैं इसीलिए मैं समझता हूं कि Moiselle की afterlife में दिलचस्पी भी जहर बनी , सिर्फ इसीलिए कि वो अपनी गुरु ख़ुद बनने निकल पड़ी थी।
हर एक धर्म में एक बात ज़रूर मिल जाती है कि "बुरा करेंगे तो हमारे साथ भी बुरा ज़रूर होगा" इतनी सी सही बात भी अगर Moiselle मान पाती तो उसकी afterlife में दिलचस्पी दूसरों के लिए जहर न बनती लेकिन जो अपना गुरू ख़ुद बनने की कोशिश करता है वो एक सीधी सी अच्छी बात भी तब तक नहीं मानना चाहता जब तक ख़ुद परीक्षा न कर ले , इसीलिए ज़बरदस्त नुकसान उठाना पड़ता है और मैं समझता हूं कि यही Moiselle के साथ होने को था जब Anna ने उसे अपने afterlife experiences बता कर हैरान कर दिया क्योंकि मुझे पक्का यकीन है कि Anna ने afterlife state में रहने के दौरान अपने बारे में तो कुछ खास देखा ही नहीं था। क्योंकि Anna कभी इस दर्शन को पाना ही नहीं चाहती थी क्योंकि Anna इतना तो जानती ही थी कि यह तरीका सही नहीं , इतना तो शायद Moiselle भी जानती ही होगी! Anna ने शायद एक angel से बात की थी जिसने उसे बताया होगा कि Moiselle ने जो दूसरों के साथ किया है अपने पागलपन में, इसके लिए उसका बहुत बुरा अंज़ाम होगा। Angel ने बताया होगा कि कैसी कैसी सज़ाएं Moiselle को दी जाएंगी और Anna को angel ने कहा होगा कि उसका दर्द जल्द खत्म हो जाएगा यानि Anna की जल्दी ही मौत हो जाएगी जो कि Anna की बना दी गई बदतर हालत की वज़ह से स्वाभाविक भी है। Moiselle को सच बताकर Anna coma में चली गई मानो जैसे कह गई हो कि ," जो कुछ मैंने तुम्हें कहा उसे मानना है तो मानो ,अब मैं तो तुम्हें अकेला छोड़कर जा रही हूं!"
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Moiselle दरअसल शायद afterlife के बारे में जानना नहीं चाहती थी , उसकी दिलचस्पी शायद स्वर्ग में थी और physical world का scientific पैमाना उसने इसके लिए लागू किया जैसा कि physical world का एक formula रहता है कि," जिस चीज़ को पाना चाहते हैं , जिसे hack करके जिसमें प्रवेश करना चाहते हैं तो उसे experiments करके अच्छे से जान लो पहले काम आसान हो जाएगा!" लेकिन Moiselle को पता यह चला कि physical world के पैमाने spritual world के हिस्से वाली Afterlife में उस तरह काम करते ही नहीं हैं, यानि Heaven को hack करके उसमें entry नहीं हो सकती बल्कि उसके लायक बनकर ही उसमें प्रवेश किया जा सकता है क्योंकि स्वर्ग में सिर्फ सेवक देवता होते हैं जो पूरी दुनिया की सेवा करते हैंं, तो जिन्होंने दूसरों की सेवा नहीं की ऐसे इंसान स्वर्ग नहीं जा सकते।
इस कहानी में अपना गुरु ख़ुद बनने की Moiselle ने यह कीमत चुकाई कि उसे बड़ी क़ीमत पर थोड़ा सा सच पता चला। दूसरों को तड़पाकर यानि स्वर्ग से हाथ धो बैठने के बाद स्वर्ग की वास्तविकता पता लगी तो भी अब क्या हो सकता था? बड़ी विडम्बना है कि जितना हम पाप में डूबते जाते हैं उतना ही स्वर्ग हमें ज्यादा आकर्षक लगने लगता है।.... Moiselle को समझ आ गया कि उससे भयानक अपराध हो गया है और पता भी इतनी देर से चला है कि अब न तो जीवन में ज्यादा वक्त बचा है और पाप भी इतने भयंकर लग रहे हैं कि ख़ुद से नज़रें मिलाना भी अब आसान नहीं है । प्रायश्चित के लायक अपने मन को तैयार करना भी Moiselle को आसान नहीं लग रहा था.... Moiselle को पता तो हमेशा से था कि वो ग़लत है लेकिन मानवता रूपी सामान्य धर्म की ही बातों पर भरोसा नहीं था इसलिए महसूस देर से कर पाई।
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Martrys की कहानी अधूरी है Anna के जवाब को जानें बिना और अधूरा ज्ञान बुरा होता है इसीलिए खून खराबे से भरी ऐसी फिल्मों को देखने से पहले मन में हमें यह भरोसा पक्का कर लेना चाहिए कि "जैसी करनी वैसी भरनी" , वरना यह फिल्में हमारे मन को क्रूर बना देंगी क्योंकि इस झूठ पर भरोसा दिला सकती हैं कि मनमाने तरीके से सबकुछ करके भी स्वर्ग हासिल हो सकता है। Moiselle के साथ भी यही हुआ अधूरे ज्ञान ने उसकी महसूस करने कि ताकत को नष्ट कर दिया लेकिन आज एक बात तो पता चली कि ज्ञान वास्तव में अच्छाई पर भरोसा करने से ही पूरा बनता है क्योंकि बिना feeling के ज्ञान बेकार हो जाता है और feel करने की वास्तविक ताकत अच्छाई के रास्ते चलने वालों में होती है, इसीलिए अच्छे और सच्चे लोग कम साधनों में भी शांत और संतुष्ट रह लेते हैं और बुराई की राह चलने वालों के पास गलत कमाई से मिले साधन तो बहुत होते हैं सुख शांति महसूस करने को लेकिन feel करने की क्षमता कम ही होती है इसीलिए वो अशांत रह लेते हैं ।
Sumit Verma
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