Martrys movie 2008, Movie's ending explained . What did Anna said to Madam Moiselle about her afterlife experiences? Answer of The biggest question of Martrys movie 2008.part1



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Martrys movie 2008, Movie's ending explained .

What did Anna said to Madam Moiselle about her afterlife experiences?
 Answer of The biggest question of Martrys movie 2008.

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Martyrs movie 2008 की कहानी वास्तविकता के बेहद नज़दीक है और ऐसा मैं इसीलिए नहीं कह रहा हूं क्यूंकि इतिहास में ऐसी बर्बरता बरते जाने के सबूत हैं बल्कि इसीलिए कह रहा हूं क्यूंकि Martrys movie 2008 की कहानी हमें यह बताती है कि ऐसी बर्बरता और अमानवीयता दुबारा क्यों बरती नहीं जानी चाहिए ? इसका जवाब छुपा है Martrys movie 2008 के उस end seen में जिसमें पीड़ित Anna अपने afterlife experiences Madam Moiselle के कान में बताती नज़र आती है लेकिन हम नहीं जान पाते कि Anna कहती क्या है Madam Moiselle के कान में ?

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 Movie देखकर पहली नज़र में  लग सकता है कि Moiselle को afterlife के बारे में शायद कोई ऐसी कीमती जानकारी मिल गई थी जिसे बांटने का उसका मन नहीं हुआ , मानो जैसे एक चोर के हाथ कीमती खज़ाना लग जाए और उसका अपने साथियों से बांटकर खाने का मन न हो ! लेकिन यह इस कहानी का सच्चा दर्शन नहीं है क्योंकि अगर यह सच होता तो Moiselle सबकुछ छोड़कर एकांत में चली जाती free life  जीने के लिए , इस तरह आत्महत्या नहीं कर लेती क्योंकि लूट में मिली दौलत का अकेले मज़ा लेने का इरादा रखने वाला चोर मरने का क्यों सोचेगा?



ज़िन्दगी में जो पाने का सपना आप देखते हैं अगर वो आपको मिल जाए और वो भी उस रूप में मिले जिस रूप में आपने उसे पाना चाहा था तो आप खुश होते हैं न कि मरने का इरादा कर लेते हैं ; यही सबसे बड़ा इशारा है कि Madam Moiselle को Anna के ज़रिए Afterlife के बारे में कुछ न कुछ तो ज़रूर पता चला था ,लेकिन वो सच्चाई ऐसी नहीं थी जैसी Moiselle और उसके साथियों ने कभी भी कल्पना की थी और जिसके लिए उन्होंने यह plan बनाया था कि जब उन्हें afterlife के बारे में पता चलेगा तो अपनी society के लोगों को भी बताएंगे!.... दूसरों को तकलीफ़ देकर ऐसी तकलीफदेह हकीकत पता चली Madam Moiselle को जिसे पूर्ववत plan के मुताबिक ही अपनी society के लोगों को बताने की कोशिश तो शुरू की Moiselle ने लेकिन शर्म इतनी महसूस हुई कि हाथ आयी सच्चाई अपने लोगों को बताने के बजाय उसने खुद को ही खत्म कर लिया, इससे पता चलता है कि  Madam Moiselle को ऐसा कुछ शर्मनाक पता चला था जिसे बयां करना बहुत शर्मिंदगी भरा था उसके लिए।

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वैसे एक बात कहूं, अपनी afterlife को लेकर दिलचस्पी रखना कोई बुरी बात नहीं है बल्कि बहुत अच्छी बात है लेकिन एक basic सा नियम जो जीवन के हर हिस्से में कार्य करते हुए याद रखना होता है ताकि हमारा मन लालच में डूबने से बच सकें वो नियम यहां भी याद रखना होता है और वो नियम है कि जैसी करनी की होती है ज़िंदा रहते हुए ,वैसा ही फल भोगना पड़ता है मरने के बाद और अगले जन्म में। मरने के बाद भी हमारा जीवन होता  और अगले जन्म में भी ; यह दो जीवन शुरू होंगे जैसे ही हमारे शरीर की मौत होगी । और हां, मौत हमारे शरीर की होती है न कि हमारी, क्योंकि हम आत्माएं हैं इसीलिए मर नहीं सकते ।.... अगर हम मर सकते होते तो शरीर छूटने पर स्वर्ग , नर्क या अगले जन्म में  जा ही नहीं सकते थे!




हम सोचते हैं कि Afterlife का जीवन अगले जन्म से पहले शुरू होता जबकि ऐसा पूरी तरह सच नहीं है! हम मानते हैं कि अगले जन्म से पहले afterlife का वक्त आएगा , Moiselle ने भी यही सोचा, यही तो उसकी गलती है क्योंकि Afterlife का जीवन शुरू होने से पहले, ज़िंदा रहते हुए ही हमारे इसी जन्म में हमारे कईं जन्म हो जाएंगे "हम अपनी ज़िंदगी कैसे जीते हैं ?" इस आधार पर हमारा मन तैयार होगा और जैसा हमारा मन तैयार होगा उस मुताबिक afterlife में हमारी मंजिल तय होगी।.... अच्छाई के रास्ते दूसरों का भला करते हुए जीवन में चलते रहने वालों का मन उनके जीवन के अंत तक एक देवता जैसा हो जाता है बशर्ते वो घमंड से बच सकें । अब जिसका मन जीते जी ही देवताओं जैसा हो गया तो यह भी साफ है कि अपना शरीर छूटने के बाद अपनी Afterlife का जीवन भी वो स्वर्ग में ही बिताएगा । वहीं दूसरी ओर जिनके शरीर तो इंसान के हैं लेकिन मन में दूसरों के लिए बिलकुल भी दया नहीं है , न ही सदभाव है तो ऐसे लोग शरीर से तो इंसान होते हैं लेकिन मन राक्षस का लिए जी रहे हैं , अगर ऐसे ही जीवन जीते रहे और अपने मन को वापस इन्सान के मन जैसा न बना सके तो साफ है कि शरीर छूटने पर Afterlife का उनका जीवन नर्क में बीतेगा .... वैसे भी इंसान होकर भी दूसरों का खून चूस कर राक्षसों के जैसे जीने वाले लोग किसी स्वर्ग में नहीं जी रहे होते , उनका नर्क अभी से शुरू हो चुका है।




कमाल है न कि जैसी ज़िन्दगी हम जीते हैं उसकी वज़ह से कैसे  हमारा मन एक ही जन्म के दौरान देवताओं जैसा कोमल या राक्षसों जैसा कठोर हो जाता है।...यह हमारे मन का अगला जन्म नहीं तो और क्या है? यानि यह सच है कि Afterlife से पहले ही अगला जन्म हो जाता है और इसीलिए यह मशहूर कहावत बनी है कि स्वर्ग या नर्क मरने के बाद नहीं बल्कि जीते जी ही होता है ।... हम अंदर से जैसे होंगे उसी आधार पर हमारा जीवन होगा Afterlife में। अगर हम Afterlife में झांकना भी चाहें तो भी हम दर्शन या एहसास उसी जगह का कर सकेंगे जहां हमारे आज किए कर्म हमें ले जाने वाले हैं इसीलिए Afterlife का जीते जी दर्शन वास्तव में बहुत आसान बात है; इसके लिए अपने मन और स्वभाव का अध्ययन करना चाहिए: यह देखना चाहिए कि हमारा स्वभाव किससे मेल खा रहा है? क्या हमारा मन है स्वार्थी राक्षसों जैसा ,  या दयालु इंसानों के जैसा या सृष्टि के सेवक यानि देवताओं जैसा ? यह तो हम ही जान सकते हैं। इसीलिए सनातन धर्म हमसे  नर्क- स्वर्ग की और देवताओं और राक्षसों के स्वभाव की भी चर्चा करता है ताकि हम अपने मन का रूप पहचान सकें जबकि अपनी आंखों से न तो हमने स्वर्ग देखा न नर्क ,न देवदर्शन किया है न राक्षसों से मिले हैं फ़िर भी इन सबके स्वभाव धर्म ने हमे बताए हैं ताकि हम अपने मन को सुंदर रच सकें। .... हम जैसे हैं अन्दर से वैसी ही Afterlife होगी और करना चाहें तो उसी तरह से जीते जी Afterlife experiences होंगे। यह बातें हैं fact की लेकिन आप सोच रहे होंगे कि इस सबका Anna के Madam Moiselle को दिए जवाब से क्या लेना देना? तो आइए इसको भी थोड़ा जान लेते हैं।

To be continued

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