How are the chintu's family coming back to India once again? "Chintu ka birthday" my favorite ending of this movie.

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पिछले blog में हमने बात की थी  इस फ़िल्म की बहुत सारी अजीब दिक्कतों के बारे में।तो चलिए , कमियां गिनना बहुत हुआ ,अब बात करते हैं इस कहानी की संभावनाओं के बारे में।जैसा कि हमनें इस कहानी में देखा कि चिंटू के इस बार वाले जन्मदिन के वक़्त बगदाद में जंग लड़ी जा रही है । आज की इस नई संभावना में भी पूरी कहानी लगभग वो ही है कि चिंटू के घर Darren  और Louis नाम के वो दोनों फौजी फंस जाते हैं और उनके घर में होने की वजह से चिंटू की बर्थडे पार्टी खराब होने लग जाती है।...पूरी कहानी तो आप जानते ही हैं कि आगे क्या क्या हुआ ? अब आप कहानी में वहां तक पहुंच कर रुक जाइए जब मदन ने दोनों फौजियों को यह कहकर मना लिया था कि  वो उसे बच्चे की जन्मदिन पार्टी मना लेने दें और फिर वो उनके साथ चलेगा क्यूंकि दोषी वही है । 

Darren ने मदन को माफ कर दिया था क्यूंकि उसे लगा कि मदन एक सामान्य आदमी है ,वो कोई ऐसा बग़दादी नागरिक नहीं है जो अभी तो शांत है लेकिन बाद में गुस्सैल भी हो सकता है।.... आपको याद होगा कि मैंने आपको कहा था कि मुझे यह seen बिल्कुल भी नहीं समझ आ पाया था और फिल्म की कहानी के मुताबिक चलें तो आपको यह भी याद होगा कि मदन के पास मेहंदी भाई का फोन आया जिसमें मदन उसे कहता है कि वो फौजियों के साथ जा रहा है और मेहंदी भाई उसे ऐसा करने से मना कर रहे थे। अब कल्पना कीजिए कि मेहंदी भाई को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी कि मदन फौजियों के साथ जा रहा है, और यह बात समझी जा सकती है क्यूंकि मेहंदी भाई के मदन के परिवार के साथ रिश्ते बिल्कुल ऐसे हैं जैसे कि मदन की family उनकी अपनी ही family हो ।...तो मेहंदी भाई परेशान हैं लेकिन कर कुछ नहीं सकते । 

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फौजियों के सामने अगर टिक सकते होते तो डर कर भागते ही क्यों? लेकिन मेहंदी भाई ने तय किया कि मदन को बचाना तो पड़ेगा इसीलिए मेहंदी भाई ने एक ऐसे शक्स को ढूंढ लिया जो टिक सके उन दो अमरीकी फौजियों के आगे।मेहंदी ने वक़्त रहते उस शख्स से संपर्क साध लिया जो कट्टर तौर पर मुल्क से इन अमरीकी सैनिकों को खदेड़ देने में विश्वास रखता था हर अच्छी या बुरी कीमत पर ।उस बन्दे का नाम "हाजी" था और यह जानकारी उसे बेकाबू बना देने के लिए काफी थी कि दो अमरीकी सैनिक अपने झुण्ड से अलग कहीं पर फंसे हुए हैं और मेहंदी जानता है  कि वो दोनों इस वक़्त हैं कहां? मेहंदी ने हाजी को इस शर्त पर जानकारी दे दी कि हाजी मदन और उसके परिवार को बचा ले ! हाजी ने भी उन फौजियों का पता ठिकाना जानने के लिए मदन की हां में हां तो मिला दी थी लेकिन वो अपना वादा निभाने वाला नहीं था। अभी दोनों फौजी जाने की तैयारी में थे ही कि मदन के घर पर ज़बरदस्त हमला हो गया ।...सरला देवी का story में इस जगह राम नाम सत्य हो गया, भारत वापसी का इरादा रखने वाली सरला देवी को इसी इच्छा के साथ स्वर्ग जाना पड़ गया ।

 लेकिन Darren और Louis डटकर लड़े पर वो सिर्फ़ दो थे लेकिन अच्छी बात यह थी कि कम तादाद के बावजूद भी वो दोनो, हमलावरों को पीछे खदेड़ने में और उनके मन में यह भ्रम डालने में भी कामयाब रहे थे कि वो वहां दो सैनिक नहीं बल्कि कई हैं लेकिन इससे जुड़ी बुरी बात भी थी कि हमलावर और भी साथियों के साथ थोड़ी देर में वहां आने वाले थे। Darren और Louis की बंदूकों में गोलियां बहुत कम बची थीं।Darren और Louis बखूबी जानते थे कि वो बहुत ज्यादा देर तक संघर्ष करने की हालत में नहीं रहेंगे। Darren और Louis ने base से संपर्क किया तो base ने उन्हें नजदीक की ऐसी जगह की जानकारी दी जहां अमरीकी हेलीकॉप्टर जल्द ही आने वाला था ,अगर वो लोग वहां से वक़्त रहते निकल कर उस जगह पहुंच पाते तो वो हेलीकॉप्टर उनके लिए वहां से निकलने का ज़रिया बन जाता। 

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Darren और Louis ने माना कि उन्हें मदन family को अपने साथ ले लेना चाहिए क्यूंकि अगर उन्हें लिए बिना वो दोनों चले जाते तो उनके हिस्से का गुस्सा इन बेचारों पर भी उतारा जा सकता था, चिंटू के दोस्तों से भी Louis ने साथ चलने को कहा लेकिन वो बच्चे डर चुके थे ,वो बाथरूम में घुस कर बैठ गए और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । तो पूरी मदन family को साथ लिए Darren और Louis वहां से निकलकर होशियारी से बगदाद की गलियों में आगे बढ़ने लगे छुपते और छुपाते हुए।  वहीं दूसरी ओर इन्हें पकड़ने या मार डालने के इरादे से हमलावर इनके पीछे आ रहे थे। लेकिन फ़िर भी गलियों में तो कोई टकराव नहीं हुआ ;खाली घरों और खंडहरनुमा दीवारों के पीछे से छिपते छिपाते आखिरकार यह सभी लोग उस जगह पहुंच गए। लेकिन हेलीकॉप्टर जब उतर रहा था उस पर हमला हुआ और चोट खाए पक्षी की तरह वो इनके सामने आ गिरा । 
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Darren,Louis और उन दो लोगों के बीच जमकर गोलीबारी हुई जिन्होंने हेलिकॉप्टर को धराशायी किया था । वो दोनो हमलावर मारे गए पर Louis को गम्भीर चोटें आ गईं । Darren जानता था कि यह जगह खतरनाक है क्यूंकि वो लोग यहां कभी भी आ सकते हैं तो सबने पास की उस खंडरनुमा बिल्डिंग में जाने की कोशिश की; शायद वो कोई पुरानी फैक्ट्री थी सब वहां छुप गए।फैक्ट्री की पहली मंज़िल पर आने के बाद सब बस उम्मीद कर रहे थे कि यह जो भी लोग हैं जो उनका पीछा कर रहे हैं बस यहां न आएं ! लेकिन Darren ने छुप कर फैक्ट्री की टूटी खिड़की से देखा तो पाया कि टूटे हेलीकॉप्टर को घेरे खड़े वो लोग खोजबीन के लिए सबसे पहले इस फैक्ट्री में ही आने वाले हैं और अब तो गोलियां भी नहीं बची थीं ।

सबको पकड़ लिया गया ,यह डरावना सपना और बुरे से बुरा होता ही जा रहा था मदन और उसके परिवार के लिए और अब तो लगने लगा था कि यह सब कभी खत्म ही नहीं होगा लेकिन उन गुस्सैल बग़दादी लोगों की वो कैद जितनी मदन परिवार के लिए तकलीफदेह नहीं थी उससे कई ज्यादा तो वो उन अमरीकी सैनिकों के लिए तकलीफदेह रही होगी लेकिन यह तकलीफ ज्यादा दिन नहीं चली ।जिस जगह इन लोगों को कैद कर रखा गया था अमेरिकी सेना ने उस जगह को ढूंढ लिया, तगड़ी लड़ाई के बाद आखिरकार उस जगह पर जब कब्ज़ा कर लिया तो वहां से उन्हें अपने दो सैनिकों के साथ साथ 4 भारतीय भी बरामद हुए। वो चार भारतीय लोग यानि मदन और उसकी बेटी बेटा और पत्नी अगले एक हफ़्ते अमरीकी सैनिक base पर ही रहे, इस दौरान अमरीकी सरकार ने भारतीय सरकार के साथ बात करके इन लोगों के भारत जाने का इंतज़ाम कर दिया।

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 ....भगवान किसी के भी सहे दर्द को व्यर्थ नहीं जाने देते । मदन और उनके परिवार ने काफी कष्ट सहे लेकिन आखिरकार भगवान ने उनकी इच्छा पूरी की और उनको भारत बुला ही लिया हालांकि सरला देवी नहीं आ पाई और मदन को इसका दुःख रहेगा क्योंकि सबसे ज्यादा बगदाद में फंस जाने का दुख़ अगर किसी को था तो सरला को ही था लेकिन मदन को इसका दुःख नहीं करना चाहिए क्यूंकि जिसकी मौत जहां और जिस घड़ी लिखी है विधाता ने ,होकर ही रहती है। that's all 
Sumit Verma

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