Snowpiercer ,part 2 information
- The next reason that illustrates us how and why there found less growth of hair in the persons of last carriage of Wilford train?
- Is something unusual behind this?
- Further details of Wilford 's food supply under the train?
सवाल यह उठता है कि अचानक से हिमयुग कैसे आ सकता है जबकि ग्लोबल वार्मिग चरम पर पहुंच रही है ?... अचानक से हिमयुग तभी आ सकता है यदि सूरज का तापमान घट जाए यानि snowpiercer की कहानी इस स्थिति को भी व्यक्त करती है जब सूरज का तापमान घट जाएगा। जैसे कि पिछले ब्लॉग में हमने जाना कि Wilford train की आखरी बोगी में रहने वाले उन गरीब मुसाफिरों में बालों से जुड़ी बढ़त का अजीब सा क्रम था : कुछ लोगों के बाल बढ़े हुए थे ,कुछ लोगों के बाल कम बढ़े हुए थे और कुछ लोगों के बाल तो बढ़े ही नहीं जैसे Curtis और Edgar . मैं बहुत हैरान था जब Curtis ने अपनी टोपी उतारी और उसके बाल छोटे थे ,फिर मेरा ध्यान इस बात पर गया कि Curtis की दाढ़ी भी कुछ खास बढ़ी नहीं है बीते 18 सालों में जबकि Wilford train की आखरी बोगी के उन मुसाफिरों को तो ढंग का खाना भी नहीं मिलता तो उनके बाल काटने वाले नाई की व्यवस्था होने का तो सवाल ही नहीं उठता;इसका मतलब सीधा सा है कि Curtis ने अपने बाल आखरी बार काटे होंगे 17 साल एक महीने पहले ; मेरे अनुमान से तब Curtis की उम्र भी तब 17 साल के आस पास ही रही होगी । दिलचस्प है Curtis जो 17 से 18 वर्ष की उम्र के दौरान Wilford train की high class का यात्री हुआ करता था और उसके बाद वो यात्री बना आखरी बोगी का ,और यह कैसे हुआ यह जानने के लिए आप Snowpiercer के ऊपर लिखे मेरे पिछले blog को पढ़ सकते हैं। Wilford train की आखरी बोगी के उन गरीब मुसाफिरों के शरीर में कुछ तो अजीब हो रहा था जिसकी वजह से सब लोगों के बालों की बढ़त धीमी हो गई थी , बहुतों के तो बाल बिल्कुल बढ़ना ही बंद हो गए थे ।
जिन लोगों के बाल नहीं बढ़ रहे थे तो थोड़े समय उन्होंने सोचा ज़रूर होगा इस बारे में लेकिन बाद में सोचना छोड़ दिया होगा क्योंकि सोचने के लिए और भी बहुत सी समस्याएं थीं उनके पास ,खासतौर पर आखरी बोगी के यात्रियों के पास ।....कुदरत में एक ही result लाने के लिए एक से ज्यादा कारण काम करते रहते हैं तो अनुमान है कि जिन कीड़े मकोड़ों और कोकरोच वगैरह को पीस कर वो "प्रोटीन बार" बनाया जाता था आखरी बोगी के मुसाफिरों को खिलाने के लिए उन कीड़ों में एक खास किस्म का कीड़ा प्रमुख था जो बिल्कुल कोकरोच के जैसा ही दिखता है लेकिन बढ़त करने के मामले में यह सामान्य कोकरोच से कई गुना ज्यादा तेज़ होता है इसीलिए Wilford train में प्रोटीन bar बनाने के लिए कीड़े मकोड़ों की कमी कभी नहीं हुई।
Mr Wilford को कहीं से तो यह कीड़ा मिला था और जिसे वो train की खाने की आपूर्ति को सहारा देने के लिए ट्रेन में लेकर आए थे।यह 18 साल पहले की बात है जब हिमयुग नहीं आया था और Mr Wilford अपनी train को बना रहे थे । Mr.Wilford की वो ट्रेन लगातार चलती रहे इसके लिए यह जरूरी था कि ट्रेन में खाने की खुद से पनपने वाली supply हो । यह जाने बिना कि" हिमयुग आने वाला है " ,यह Mr Wilford का उनकी ट्रेन को सदा चलते रहने को लेकर दीवानापन ही था जिसकी वजह से Wilford शांत समय से ही ,ट्रेन में खाने की समस्या सुलझाने के लिए best तरीकों की खोज करते रहे थे।
जबकि Mr Wilford इस कीड़े को अपनी ट्रेन में जगह दे चुके थे, कहीं किसी और जगह इस कीड़े को लेकर शोध चलता रहा था ; कुछ वैज्ञानिकों का दावा था कि हाल ही मैं खोजे गए कोकरोच प्रजाति के इस कीड़े में एक खास किस्म का वायरस था जिसका नाम "naxe" रखा गया था। वैज्ञानिकों का दावा था कि naxe वायरस अगर इंसान के शरीर में जाए तो मुमकिन है कि इंसानों में वो बालों की बढ़त को रोक दे लेकिन यह research ज्यादा मशहूर नहीं हुआ क्योंकि जिन वैज्ञानिकों का यह दावा था वो इसे साबित नहीं कर सके और साबित इसीलिए नहीं कर सके क्योंकि उनके experiments में हर बार वायरस ने एक जैसा व्यवहार नहीं किया था।
Ice age आ जाने के बाद तो यह 'naxe ' reaserch और इससे जुड़े दस्तावेज़ बर्फ के नीचे कहीं दबकर गायब हो गए थे लेकिन Mr Wilford इस कीड़े को train में ले आए थे इसकी तेज़ बढ़त करने की क्षमता के कारण और Mr Wilford नहीं जानते होंगे वैज्ञानिकों के इस दावे के बारे में कि इस कीड़े में naxe नाम का वायरस रहता है जो बालों की बढ़त बढ़ाने वाले हार्मोन्स को सुस्त बना सकता है पर अगर Mr Wilford जानते भी होते तो भी इस कीड़े को ज़रूर ट्रेन में लाते क्योंकि यह कोई बुरा side effect तो नहीं था!
यह वायरस खास प्राकृतिक परिस्थितियों में ही सक्रिय हो सकता था , ऐसी परिस्थितियां जो बेहद ठंडे माहौल में ही बनती हैं पर उस कीड़े की बात करें जिसमें यह naxe वायरस रहता है तो वो कीड़ा बहुत ज्यादा ठंडे माहौल में नहीं पनप सकता था ।.... कुदरत में खास combinations पूरे होते हैं तो खास नतीजे हासिल होते हैं। इस theory के मुताबिक वो कीड़ा जिसमें naxe वायरस रहता है ,वो ठंडे माहौल में नहीं पनप सकता लेकिन Wilford company की उस ट्रेन के अंदर माहौल इतना गर्म था कि वो कीड़ा पनप सके ,इस तरह ट्रेन में उन कीड़ों को पनपने के लिए गर्म माहौल मिला जो इतना ठंडक भरा भी था कि naxe वायरस भी आसानी से पनप सके।इतना तो है कि अगर Mr Wilford खाने के लिए इस कीड़े को ट्रेन में नहीं लाते तो यह शायद लुप्त हो जाता बाहर कि कातिल ठंड में।
अगर हम Wilford train में इस खास कीड़े के होने की theory को सच मान लें तो हम यह strongly feel कर सकते हैं कि वो क्या वजह थी जो lower class बोगी में मौजूद ज्यादातर लोगों के बाल नहीं बढ़ रहे थे।... इस तरह कुदरत ने एक झंझट तो lower class के लोगों के लिए कम किया हुआ था यानि इन विपरीत हालातों में अपने आपको संभालने के दौरान उन्हें अपने बालों को नहीं संभालना पड़ रहा था।
Movie से अलग हटकर इस fact की बात करें ,यह कि, "कुछ खास नतीजे हासिल करने के लिए अगर हम अपनी regular diet में कुछ जबरदस्त बदलाव लेकर आए तो यह सही होगा या नहीं?" यह जानने से पहले हमें यह जानना चाहिए कि यह वास्तविक है या नहीं?.... देखिए ,वास्तविक तो है क्योंकि खास diet के ज़रिए शरीर की खास बातों को control किया जा सकता है , बढ़ाया या घटाया जा सकता है।जैसे कि कोई खास diet हमारा cholestrol नियमित करती है,उसी तरह से कोई खास diet होती है जो मोटापा कम करती है , वहीं दूसरी ओर कोई खास diet ऐसी भी होती है जो मोटापा बढ़ाती भी है उनके लिए जिनको ज़रूरत है मोटा होने की।
अब अगर हम इस fact को सच मान लें कि किसी खास diet द्वारा हम बालों की बढ़त को भी काबू कर सकते हैं तो क्या हमें यह करना चाहिए यानि Snow piercer की कहानी से जुड़े इस नए fact के मुताबिक पूछा जाए तो क्या हमें कीड़ों को खाना चाहिए?....इस समय सारी दुनिया में कोरोना छाया हुआ है ,हमने Reptiles और कीड़े मकोड़ों को खाना फ़िलहाल के लिए रोक दिया है और शाकाहार को अच्छा मान रहे हैं जो कि अच्छा है भी।... मनुष्य की सर्वोत्तम diet शाकाहार ही है लेकिन मनुष्य सर्वाहारी भी है यानि वो लगभग सब कुछ खा सकता है लेकिन सच तो यह है कि सर्वाहार वाला option एक आपातकालीन विकल्प है, यानि extreme situations में जब शाकाहार न मिले तब यदि मांसाहार खाया जाए तो शरीर में मांसाहार खाने से होने वाले दोष कम पैदा होते हैं।
हमारे शरीर की कुदरत कमाल की है ;यह हमारे शरीर को स्थितियों के हिसाब से आहार स्वीकार करने के लिए set तो कर देती है लेकिन हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम मुख्यत: शाकाहारी हैं और मांसाहार से जुड़े options और उनमें भी विशेषकर कीड़े मकोड़ों का आहार यह सिर्फ pure emergency के लिए option है।
मनुष्य नाम मात्र के लिए सर्वाहारी है । अगर हम ऐसी जगह रहते हैं जहां अच्छी हरियाली है तो हमें मांसाहार कम से कम लेना चाहिए क्यूंकि ऐसे में हमारे शरीर की कुदरत allow नहीं करती होती है। अगर हम किसी बंजर इलाके में या किसी चरम इलाके में रहते हैं तो हमारे शरीर की प्रकृति हमें थोड़ी इजाज़त देती है कि हम परिस्थितियों के हिसाब से आहार में थोड़ा बहुत बदलाव करते हुए परिस्थिति अनुसार आहार स्वीकार कर सकते हैं ,और अगर हम किसी extreme situation में लंबे समय के लिए फंस जाते हैं जैसे Wilford train की आखरी बोगी के लोग फंस गए थे या जैसे अक्सर बीहड़ों में लोग भटक जाते हैं तो ऐसे में प्रकृति हमें बहुत ज्यादा छूट भी दे सकती है कि स्थितियां सुधरने तक हम कीड़े भी खाकर गुजारा कर सकते हैं लेकिन उसमें भी हमको यह पता होना चाहिए कि कौन से कीड़े खाने लायक हैं (जो ज़हरीले नहीं हैं) और पता होना चाहिए यह भी कि सबसे सुरक्षित तरीका क्या है जिंदा बचने के लिए इस किस्म के आहार को खाने का?
हम हर समय प्रकृति कि दया पर होते हैं ।हमारे भीतर की प्रकृति सब जानती है कि बाहर कुदरत में कैसा माहौल चल रहा है और सच्चाई यही है कि हमें दोनों प्रकृतियों को बचाना होगा क्योंकि हमें दोनों की ज़रूरत है।.... हमें शरीर को शाकाहार अपनाने को देना है क्यूंकि मूलतः हम शाकाहारी हैं और यह हमें भूलना नहीं है ,यह याद रखने के लिए भी हमें शाकाहारी रहने का अभ्यास करना है और कुदरत को सहारा देना है अपनी आबादी को काबू करके और कुदरत को हरा भरा रखकर ताकि कुदरत लंबे समय तक हमें शाकाहार दे सके । इस सब को भुलाकर अगर सिर्फ शौक के लिए इमरजेंसी option को अपना रहें हैं तो सिर्फ इतने से भी real emergency पैदा हो सकती है। शरीर की प्रकृति और उसकी इच्छा के विरुद्ध आहार लेना हमारी सेहत और पर्यावरण को भारी पड़ सकता है ,तो देखा जाए तो Wilford train की आखरी बोगी में passengers के बालों की बढ़त धीमी क्यूं थी इस सवाल का जवाब ढूंढते ढूंढते हमने बाल की खाल निकाल डाली आज ,पर मज़ा आया । By the way , that's all and thank you
Sumit Verma
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