Comparison between Hollywood horror movies with Bollywood horror movies.
This blog is in Hindi:
Hollywood horror movies में एक खास बात है जो लगभग सभी horror फिल्मों में मैंने देखी है , इस बारे में बात करें उससे पहले थोड़ा सा recap करते हैं क्योंकि मैं पहले भी एक बार इसी topic पर चर्चा कर चुका हूं। पिछले ऐसे blog में मैंने उस वक्त Bollywood horror फिल्मों की कमज़ोरियों की चर्चा की थी और इस आधार पर इस सवाल का भी जवाब देने की कोशिश की थी कि विदेशी horror फिल्में इतनी सच्ची क्यूं लगती हैं?Basically मैंने उस blog में यह जानने की कोशिश की थी कि Bollywood की horror फिल्मों में भूत अक्सर हमको डराने में नाकाम क्यूं हो जाता है? आज इसी बात को हम दूसरे तरीके से समझने की कोशिश करेंगे। ...मुझे लगता है कि Bollywood horror फिल्मों में भूत हमको इसीलिए भी डरा नहीं पाता क्योंकि horror फिल्मों के ज्यादा डरावना दिखने से प्रशासन द्वारा इन पर प्रतिबंध लगाने का डर बना रहता है और ऐसे ही यहां भारत में ज्यादातर horror फिल्मों के निर्माता मानते हैं कि भूतों से ज्यादा डरना कोई अच्छी बात नहीं है,
इसीलिए मुझे लगता है कि Bollywood में ज्यादातर horror फिल्मों में वासना के प्रयोग से डर को खत्म करने की भी कोशिश साथ साथ में उतनी ही होती है जितना डराने की होती है लेकिन आज का मुद्दा यह है कि Hollywood की horror फिल्मों में जैसे कि हम अक्सर देखते ही हैं कि भूत इतने शक्तिशाली होते हैं कि उन पर प्रार्थनाओं का भी असर नहीं होता और जीसस की पवित्र निशानी यानि क्रॉस से भी वो नहीं डरते ,जैसे the possession of Hannah grace movie में Hannah के ऊपर किया जा रहा शुद्धिकरण नाकाम हो जाता है और 'The Nun' movie का भूत तो रहता ही एक गिरजाघर मे था,इसी तरह ज्यादातर Hollywood भूत की फिल्मों में हम देखते हैं कि भूत ,जीसस क्राइस्ट से नहीं डरते लेकिन जब हम Bollywood की किसी horror फिल्म में ऐसा ही seen देखते हैं तो भारत में बनी भूत की फिल्मों की कहानियों में भूत प्रेत हमारे हिन्दू धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार हो रहे शुद्धिकरण का सामना नहीं करना चाहते होते हैं और यही देखने में सच्चा लगता है,
जैसे 1920 फ़िल्म की कहानी में लीज़ा में समाया भूत हनुमान चालीसा का पाठ नहीं सह पाया और यही सच्चा लगा।किसी विदेशी को भी Hollywood horror फिल्मों की यह बात सच्ची लगती है कि वहां भूतों पर ईश्वरीय प्रार्थनाओं का असर नहीं, लेकिन एक विदेशी इंसान भी यदि सनातन धर्म को एक बार महसूस कर ले तो उसका मन भी Bollywood horror फिल्मों में यह देखकर ही संतुष्ट होगा कि भूत प्रेत हमारा सनातन शुद्धिकरण तरीका नहीं सह पा रहे ; यह Bollywood भूत की फिल्मों में एक प्लस point है लेकिन इस plus point का आधार क्या है, क्या कोई भेद है जीसस और कृष्ण में?....नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता ! कल्पनाएं तो वही सच्ची लगती हैं जिनमें सच्चा होने या बन जाने की संभावना हो इसीलिए अगर विदेशी भूत की फिल्मों में भूत प्रेत और शैतानी आत्माएं अगर ईश्वर की प्रार्थना या प्रतीकों से नहीं डरते तो वाकई में भारत से बाहर यह कुछ हद तक सच भी है! ....
भारत में धर्म को सीधे तौर पर शाकाहार से जुड़ा बताया जाता है और इसके पीछे का कारण यह बताया जाता है कि शाकाहारी रहने से मन में सत्वगुण बढ़ता है यानि मन साफ हो जाता है और मांस और शराब को तमोगुण को बढ़ाने वाला बताया जाता है यानि शराब और मांस का ज्यादा सेवन मन को गन्दा करने वाला बताया गया है।इसीलिए सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े बहुत से लोग विशेष धार्मिक अवसरों पर शराब और मांस का सेवन करने से बचते हैं ताकि प्रार्थना में उनका मन लगे और जो पक्के सनातनी होते हैं वो तो शराब और मांस का सेवन कभी भी नहीं करते। सनातन धर्म यह गारंटी देता है कि ,"आप शाकाहारी रहिए ,कोई भूत प्रेत आपको सता नहीं पाएगा !".....
भारत देश की छवि एक शाकाहारी देश की ही है चाहें आज के समय में यहां मांस और शराब का सेवन करने वाले लोगों की संख्या कितनी ही क्यूं न बढ़ गई हो लेकिन शांत मन से कभी भी भारत का हम ध्यान करें तो भारत की सांस्कृतिक पवित्रता का हमको एहसास होता है जिस एहसास को हम आज भी भूले नहीं हैं ; इस एहसास के कारण ही Bollywood में बनी भूत की फिल्मों में जब हम किसी भूत को प्रार्थना की ताकत के आगे हारते देखते हैं तो हमको वही सच्चा सा लगता है ,क्यूंकि पवित्र मन से हुई प्रार्थना में ग़ज़ब की शक्ति होती है और भारत में रहते हुए मन को पवित्र करना आसान है क्यूंकि यहां शाकाहारी रहना आसान है जबकि विदेशी सभ्यताओं में मांस और मदिरा का दैनिक सेवन सदा से होता रहा है और हम भारतीय जानते हैं कि यह चीज़े मन को अपवित्र करने वाली बताई गई हैं इसीलिए विदेशी भूत की फिल्मों में जब हम भूत या शैतानी आत्मा पर मन से की जा रही ईश्वरीय प्रार्थना का भी असर नहीं होते देखते हैं तो हमको वही सच्चा लगने लगता है । ....
अपनी फिल्मों में प्रार्थना का असर नहीं होते दिखाना विदेशी फिल्म निर्माताओं को भी सही लगता है, यानि वो भी कहीं न कहीं महसूस करते हैं कि शराब और मांस का वर्षों तक लगातार सेवन करने के बाद मन कमज़ोर पड़ जाता है और इतनी जल्दी प्रार्थना की शक्ति प्रकट करने लायक मन नहीं हो पाता है इसीलिए विदेशी horror फिल्मों की कहानियों में अक्सर भगवान् की शक्ति शैतान की शक्ति के आगे फीकी पड़ती दिखती है और वहां के माहौल के मुताबिक यही सच्चा लगता है जबकि ईसा मसीह और कृष्ण में कोई अंतर नही है लेकिन साफ मन से प्रार्थना की गई या नहीं ? फर्क इससे पड़ता है। ......
यकीनन ,मांस खाते रहने और शराब पीने से मन साफ नहीं रह पाता ,कमज़ोर पड़ जाता है इसीलिए कहा गया है कि ,"जैसा खाए अन्न ,वैसा होय मन ।".... भारतीय "डर" आधारित फिल्में अच्छी भी हैं और विडम्बना भी हैं क्यूंकि संदेश अच्छा देने के बावजूद भी वासना मिश्रित होने के कारण इन्हें अच्छा कहना थोड़ा सा कच्चा भी लगता है। that's all
Sumit Verma
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